
पुष्पेन्द्र सिंह /भोपाल। मप्र की प्रथम किन्नर समाजसेवी, स्टेट इलेक्शन आइकन और सनातन रक्षक किन्नर संजना सिंह राजपूत अब संजना सखी के नाम से ख्यात हो गई हैं। उन्हें प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में विश्व की प्रथम जगतगुरु किन्नर हिमांगी सखी मां ने वैष्णव किन्नर अखाड़ा से प्रदेश की प्रथम किन्नर श्रीश्री 1008 महामंडलेश्वर की पदवी प्रदान की। 12वीं तक शिक्षित संजना भोपाल में रहते हुए समाजसेवा में सक्रिय रहीं। वे कहती हैं कि नकारात्मक और सकारात्मक पहलुओं से जूझते हुए समाज के जनों ने ही मुझे समाज के प्रति समर्पित होने को प्रेरित किया । समाजसेवा से मिले पुण्य ने मुझे पूर्णत: धर्म के मार्ग पर मोड़कर ये सम्मान भरा जीवन दे दिया। महामंडलेश्वर की पदवी मिलने के बाद संजना सखी ने पीपुल्स समाचार को पहला साक्षात्कार दिया। प्रस्तुत हैं प्रमुख अंश:-
- अपने पूरे किन्नर जीवन में किन चुनौतियों से सामना करना पड़ा? – लैंगिक आधार पर बहुत चुनौतियों का सामना करना पड़ा। स्कूल हो या अन्य अवसर, सभी जगह रहन-सहन और लड़कियों की तरह बोलचाल की वजह से मजाक का पात्र बनती थी।
- मप्र की पहली किन्नर की महामंडलेश्वर की पदवी कैसे मिली? – ये सब प्रारब्ध अनुसार निश्चित था, सो प्रकृति ने मुझे उस दायित्व तक पहुंचा दिया ।
- प्रेरणा किससे और कब मिली? –किन्नर होना सबसे बड़ी प्रेरणा रही। बचपन से ही पूजा-पाठ करते हुए वर्तमान परिस्थितियों ने इस पुनीत कार्य के लिए प्रेरित किया।
- आपकी भूमिका क्या होगी और किन्नर समाज का क्या हित होगा? -मेरी खुद की बनाई कोई भूमिका होती तो समाज में पहले ये लैंगिक भेदभाव को बदलती। प्रयास रहेगा कि संस्कृति, सभ्यता और संस्कार को लेकर समाज में किन्नर ही नहीं, प्रत्येक वर्ग को सनातन संस्कृति के प्रति जागरूक कर लैंगिक समानता स्थापित कर सकूं।
- मुख्यालय कहां होगा ? –मुख्यालय मुंबई होगा। चार राज्यों के महामंडलेश्वर अपने-अपने राज्यों के साथ पूरे देश में इसका विस्तार करेंगे।