
इंदौर। मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर से पति-पत्नी के रिश्ते की एक बेहद भावुक घटना सामने आई है। सड़क हादसे में ब्रेन डेड हुई पत्नी मनीषा को उनके पति भूपेंद्र राठौर ने अस्पताल में अंतिम विदाई दी। अपनी पत्नी की मांग में सिंदूर भरते हुए भूपेंद्र ने न केवल उनके प्रति अपना अंतिम कर्तव्य निभाया, बल्कि समाज को अंगदान के प्रति प्रेरित करने का संदेश भी दिया। इस दृश्य को देखकर वहां उपस्थित परिजन और अस्पताल स्टाफ की आंखें नम हो गई।
सड़क हादसे में घायल हुआ था दंपति
शाजापुर निवासी मनीषा और भूपेंद्र राठौर 3 नवंबर को भाई दूज के अवसर पर इंदौर में अपनी ननद के घर गए थे। लौटते समय मक्सी रोड पर एक सड़क दुर्घटना में दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए। मनीषा को इंदौर के सीएचएल अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी स्थिति बिगड़ती चली गई। 6 नवंबर को उन्हें डॉक्टरों ने ब्रेन डेड घोषित कर दिया।
डॉक्टरों की सलाह पर भूपेंद्र और परिवार ने मनीषा के अंगदान का निर्णय लिया। उनकी दोनों किडनी और आंखें दान की गईं, जिससे दो मरीजों को नया जीवन मिला। इसके लिए इंदौर में दो ग्रीन कॉरिडोर बनाए गए, जिनके माध्यम से अंगों को अलग-अलग अस्पतालों तक पहुंचाया गया।
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ग्रीन कॉरिडोर की प्रक्रिया
- पहली किडनी सीएचएल अस्पताल से राजश्री अपोलो अस्पताल भेजी गई, जहां यह 7 मिनट में पहुंच गई।
- दूसरी किडनी एमिनेंट अस्पताल भेजी गई, जो 5 मिनट में पहुंचाई गई।
- इन अंगों से दो मरीजों की जिंदगी बचाई गई।
अस्पताल में भावुक विदाई
अस्पताल के आईसीयू में भर्ती घायल भूपेंद्र ने पलंग पर लेटे हुए ही पत्नी मनीषा की मांग में सिंदूर भरी और बिंदी लगाकर अंतिम विदाई दी। यह दृश्य देखकर परिवार के सदस्य और अस्पताल स्टाफ की आंखें नम हो गईं।
अंगदान जागरुकता के लगे पोस्टर्स
मनीषा के अंगदान से इतने प्रेरित हुए कि उन्होंने शाजापुर में कई जगहों पर अंगदान जागरूकता के पोस्टर्स लगाए। शाजापुर में कई जगहों पर अंगदान जागरुकता अभियान चलाया गया। लोगों ने अंगदान के लिए आगे आने का संकल्प लिया। मनीषा की अंतिम यात्रा शाजापुर में बड़े सम्मान के साथ निकाली गई। रथ यात्रा आदर्श कॉलोनी से शुरू होकर शहर के मुख्य मार्गों से होते हुए श्मशान घाट पहुंची, जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।
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