
प्रवीण श्रीवास्तव भोपाल। आज वैलेंटाइन डे यानी प्यार का दिन है। अक्सर लोग अपने साथी को इस दिन खास तोहफा देकर उसे यादगार बनाते हैं। लेकिन कई ऐसी भी कहानियां हैं, जिन्होंने हर मुश्किल का सामना करते हुए अपने सच्चे प्यार की मिसाल कायम की। इस खास दिन पर हम आपको मिलवा रहे हैं ऐसे लोगों से, जिन्होंने अपने ‘प्यार’ की जिंदगी बचाने के लिए अपने अंग तक दान कर दिए।
परिवार ने कर दिया इंकार तो पत्नी आई आगे
मुरैना निवासी कृष्णदत्त शर्मा को उनकी पत्नी ने किडनी देकर जान बचाई। जब डॉक्टरों ने उन्हें ट्रांसप्लांट के बारे में बताया तो वे चिंतित हो गए। किडनी डोनेशन की बात सुनकर रिश्तेदारों ने मुंह मोड़ लिया, ऐसे में पत्नी आगे आई। हालांकि वे खुद कमजोर थीं और उन्हें खतरा हो सकता था लेकिन पति के जीवन के लिए किडनी डोनेट करने के लिए अड़ी रहीं। सितंबर 2021 में हमीदिया अस्पताल में उनका ट्रांसप्लांट हुआ।
पत्नी ही जीवन में सबसे बड़ी मददगार
सीधी के रहने वाले विरेश पांडे बताते हैं कि जिंदगी में पत्नी ही सबसे बड़ी दोस्त होती है। किडनी खराब होने के बाद असल रिश्ते सामने आ गए। पत्नी वंदना ने किडनी देकर उनकी जान बचाई। वे बताते हैं कि आज जो कुछ हैं, वो अपनी पत्नी की वजह से ही हैं। वंदना ने बताया कि जब डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि वे किडनी दे सकती हैं, तो इसके लिए सहर्ष तैयार हो गई। उन्होंने कहा-पति की सलामती ही उनके जीवन की पूंजी है।
पति ने दी पत्नी को नई जिंदगी
गोलगांव, कोलार के जगदीश उन लोगों में से हैं, जिन्होंने पत्नी की जिंदगी बचाने के लिए अपने अंग दान कर दिए। जगदीश ने बताया कि पत्नी सुक्खी बाई दो साल से किडनी की बीमारी से जूझ रही थीं। डॉक्टरों ने बताया कि उनकी किडनी पूरी तरह खराब हो गई है और ट्रांसप्लांट कराना होगा। मैंने डॉक्टर से कहा कि मैं अपनी किडनी दान करने के लिए तैयार हूं। अब मेरी पत्नी पूरी तरह ठीक है।
पांच साल में 275 ट्रांसप्लांट हुए
जानकारी के मुताबिक, 5 साल पहले राजधानी में पहला ऑर्गन ट्रांसप्लांट किया गया था। तब से अब तक 275 ट्रांसप्लांट हो चुके हैं। सबसे ज्यादा ट्रांसप्लांट बंसल अस्पताल में (192) हुए। यहां 156 महिलाओं ने अंगदान किए, वहीं 36 पुरुष ही डोनर रहे। बड़ी बात यह है कि अंग लेने में पुरुष, महिलाओं से काफी आगे हैं। 145 पुरुष रेसीपिएंट थे। सिद्धांता अस्पताल में हुए 41 ट्रांसप्लांट में से महिला डोनर 28 थी, वहीं 30 पुरुष रेसीपिएंट थे।
अंगदान करने में पत्नियां आगे, मां दूसरे स्थान पर
अस्पतालों से मिले आंकड़ों के मुताबिक, ऑर्गन डोनेट करने के मामले में पत्नियां ही सबसे आगे रहती हैं। वहीं दूसरे नंबर पर मां का स्थान आता है। जानकारी के अनुसार, महिला डोनर के रूप में 56 फीसदी डोनर पत्नियां ही हैं। वहीं 28 फीसदी माताएं अंगदान कर बच्चों को नई जिंदगी देती हैं। इसके बाद बहन, बुआ और मौसी जैसे रिश्ते आते हैं।