
वॉशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रवासियों के मुद्दे पर सख्ती से कदम बढ़ा रहे हैं। अमेरिकी संसद ने बुधवार को लैकेन रिले विधेयक को अंतिम मंजूरी दे दी है। इसका मकसद अवैध प्रवासियों पर नकेल कसना है। इस विधेयक के तहत उन प्रवासियों को हिरासत में लिया जाएगा, जिन पर चोरी और हिंसक अपराधों का आरोप होगा। राष्ट्रपति ट्रंप के हस्ताक्षर के बाद यह विधेयक कानून बन जाएगा। शपथ लेने के बाद यह पहला कानून होगा जिस पर राष्ट्रपति ट्रंप हस्ताक्षर करेंगे।
बिल को क्या नाम दिया गया ?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चुनाव जीतने के बाद से ही अवैध प्रवासियों को लेकर कड़े रुख अपनाए हुए हैं। अवैध प्रवासियों से जुड़े इस बिल को लैकेन रिले एक्ट नाम दिया गया। अमेरिकी कांग्रेस ने बुधवार को लैकेन रिले अधिनियम को मंजूरी दे दी है। अब इस विधेयक को कानून बनाने के लिए ट्रंप की मंजूरी का इंतजार है। यह उनके राष्ट्रपति बनने के बाद पहला कानून होगा जिस पर वे हस्ताक्षर करेंगे। डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन ने मिलकर इस विधेयक को 263-156 वोटों से पारित किया। यह कानून अवैध प्रवासियों के लिए कांग्रेस द्वारा पारित पिछले तीन दशकों का सबसे अहम कानून माना जा रहा है।
भारत सहित कई अन्य देशों के प्रवासियों पर पड़ेगा असर
लैकेन रिले अधिनियम का नाम उस जॉर्जिया के नर्सिंग छात्र के नाम पर रखा गया था, जिसकी पिछले साल एक वेनेजुएला के नागरिक ने हत्या कर दी थी। इस अधिनियम का उद्देश्य अवैध प्रवासियों पर कड़ी नजर रखना और उन देशों से संबोधित करना है जो अपने नागरिकों को वापस लेने से मना करते हैं। इस कानून का असर अमेरिका में रहने वाले भारत सहित कई अन्य देशों के प्रवासियों पर पड़ेगा।
बिल के तहत क्या है प्रावधान
इस कानून के कुछ मुख्य प्रावधानों के अनुसार, यह कानून अनिवार्य करता है कि देश अपने नागरिकों को वापस लेने में सहयोग करें जो अवैध रूप से अमेरिका में रह रहे हैं। इसमें उस व्यक्ति की पहचान की पुष्टि, ट्रैवल डॉक्यूमेंट जारी करना और उसकी वापसी को स्वीकार करना शामिल है। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो अमेरिका का राज्य उस देश के खिलाफ वीजा रद्द करने के लिए अदालत में याचिका दायर कर सकता है।
भारतीयों पर क्या असर पड़ेगा
अगर भारत अपने प्रवासियों को स्वीकार करने में सहयोग नहीं करता है तो अमेरिकी राज्य भारतीय नागरिकों को जारी किए गए वीजा, जैसे H-1B वीजा को रद्द या निलंबित करने के लिए कोर्ट जा सकते हैं। यह कानून पारंपरिक कूटनीतिक बातचीत के बजाय अदालत को प्रतिबंध लगाने का अधिकार देता है, जिससे कूटनीतिक वार्ता की भूमिका कम हो जाती है। भारत और अमेरिका के बीच हमेशा मजबूत संबंध रहे हैं और भारत ने पहले भारत ने निर्वासन प्रयासों में सहयोग किया है। हालांकि, अगर भारत इस मामले में सहयोग नहीं करता है तो दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ सकती है।