Naresh Bhagoria
9 Nov 2025
होली खेलना बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी को पसंद होता है, हालांकि कई लोग इससे बचते नजर आते हैं, लेकिन मन ही मन चाहते हैं कि कोई रंग लगा देगा तो फिर खेल ही लेंगे..., तो फिर सोचिए मत और रंगों के इस त्योहार से खुद को दूर मत रखिए। वजह है, यह त्योहार एंजॉयमेंट के साथ ही मेंटल हेल्थ के लिए भी फायदेमंद है। साइकोलॉजिस्ट्स के मुताबिक होली खेलने से हैप्पी हार्मोन्स का सिक्रेशन होता है, जिससे मूड तो अच्छा होता ही है, व्यक्ति स्ट्रेस फ्री भी महसूस करता है।
इसके साथ ही नए रिश्ते भी इन दिन बनते हैं, जिन लोगों को हमेशा देखते हैं, होली वाले दिन सामने पड़ जाएं तो उनसे गुफ्तगू भी हो जाती है। चिंता, स्ट्रेस और डिप्रेशन जैसी समस्याओं के निपटने में होली का त्योहार बेहद अहम भूमिका निभा सकता है।
होली पर डांस करना, दोस्तों के साथ हंसी-मजाक, भाग-दौड़ इन सबका का सकारात्मक असर मन पर पड़ता है। कुछ देर के लिए ही सही इंसान अपनी तमाम चिंताओं से मुक्त रहता है। इस दौरान डोपामिन और ऑक्सीटोसिन नाम के हार्मोन्स रिलीज होते हैं जो कि मूड को बेहतर करते हैं। यह स्ट्रेस बूस्टर का काम करते हैं। इस दिन हम कॉलोनी के उन लोगों से भी बात कर पाते हैं, जिन्हें रोज देखते तो हैं, लेकिन कभी बात नहीं होती। इससे सभी के भीतर करूणा और दया के भाव भी पैदा होते हैं। कलर थैरेपी में भी रंगों का महत्व है। -डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी, साइकोलॉजिस्ट
होली खेलने, मिठाई खाने और एक साथ मौज-मस्ती करने से हैप्पी हार्मोंस का उत्पादन होता है और यह मूड और माहौल को हल्का और खुशनुमा बनाने में मदद करता है। रंग गहरा मनोवैज्ञानिक, शारीरिक और भावनात्मक प्रभाव डालते हैं। उदाहरण के लिए, लाल रंग अधिक स्थिरता जबकि नीला रंग एक्सप्रेशन और कम्युनिकेशन में मदद करता है। - डॉ. आरएन साहू, साइकॉलोजिस्ट
जब हम फाग की कविताएं पड़ते है तो तो मन रोमांचित हो जाता है। उदासी, निराशा और चिंताएं घटने लगती हैं। हम उस माहौल को महसूस करने के लिए फाग गोष्ठी करते हैं, जिसमें लोक की होली की ठिठोली भी होती है। -डॉ. साधना बलवटे, निदेशक, निराला सृजन पीठ