
दक्षिण कोरिया की सियोल पश्चिमी जिला कोर्ट ने राष्ट्रपति यून सुक योल के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। यह पहली बार है, जब किसी मौजूदा दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति के खिलाफ ऐसा कदम उठाया गया है। यून पर 3 दिसंबर को देश में मार्शल लॉ लागू करने और सत्ता हथियाने की कोशिश के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इसके कारण उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पारित किया गया था।
महज 6 घंटे चला मार्शल लॉ
3 दिसंबर की रात को इमरजेंसी के तहत मार्शल लॉ लागू करने की घोषणा की गई थी। इस फैसले के खिलाफ देशभर में व्यापक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। जनता और विपक्ष के तीखे विरोध के कारण यून को कुछ घंटों के भीतर ही मार्शल लॉ समाप्त करना पड़ा। इसके बावजूद उनके इस कदम को सत्ता के दुरुपयोग के रूप में देखा गया और उनके खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव लाया गया। संसद में इस प्रस्ताव को 204 वोटों का समर्थन मिला, जबकि केवल 85 सांसदों ने इसका विरोध किया।
180 दिनों में कोर्ट करेगा फैसला
कोर्ट को 180 दिनों के भीतर यह तय करना होगा कि यून सुक योल को राष्ट्रपति पद से स्थायी रूप से हटाया जाए या उनकी शक्तियां बहाल की जाएं। यदि उन्हें पद से हटाया जाता है, तो उनके उत्तराधिकारी को चुनने के लिए 60 दिनों के भीतर राष्ट्रीय चुनाव कराए जाएंगे।
कार्यवाहक राष्ट्रपति के खिलाफ भी महाभियोग प्रस्ताव
इस बीच, कार्यवाहक राष्ट्रपति हान डक-सू के खिलाफ भी महाभियोग प्रस्ताव पास हो गया है। विपक्षी दल ने आरोप लगाया कि हान ने पूर्व राष्ट्रपति यून द्वारा लगाए गए मार्शल लॉ का समर्थन किया और उनके खिलाफ जांच को मंजूरी नहीं दी। संसद में इस प्रस्ताव के पक्ष में सभी 192 सांसदों ने मतदान किया।
क्या है मार्शल लॉ?
मार्शल लॉ ऐसी स्थिति है, जब देश में गंभीर संकट या व्यापक अशांति के समय सरकार प्रशासनिक और कानूनी नियंत्रण सैन्य बलों को सौंप देती है। यह पूरे देश या किसी विशेष क्षेत्र में लागू किया जा सकता है। इसे सैनिक कानून भी कहा जाता है।
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