नई दिल्ली। अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने शनिवार को बाजार नियामक सेबी की प्रमुख माधबी बुच के खिलाफ एक नया हमला किया। हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया कि सेबी की चेयरपर्सन माधबी बुच और उनके पति की अडाणी मनी साइफनिंग घोटाले में इस्तेमाल किए गए दोनों अस्पष्ट ऑफशोर फंडों में हिस्सेदारी थी।
हिंडनबर्ग की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि हमें अडाणी समूह पर सबूत पेश किए लगभग 18 महीने हो गए हैं। हमारी रिपोर्ट में ऑफशोर में मुख्य रूप से मॉरीशस-आधारित शेल कंपनियों के एक बड़े नेक्सेस का खुलासा किया गया था। इन कंपनियों का उपयोग संदिग्ध अरबों डॉलर के अघोषित संबंधित पार्टी ट्रांजेक्शन, अघोषित निवेश और स्टॉक हेरफेर के लिए किया जाता था।
हिंडनबर्ग रिपोर्ट में आगे लिखा कि- हमारी रिपोर्ट की पुष्टि और विस्तार करने वाले 40 से अधिक स्वतंत्र मीडिया जांचों के साथसाथ सबूतों के बावजूद भारतीय प्रतिभूति नियामक यानी सेबी ने अडाणी समूह के खिलाफ कोई सार्वजनिक कार्रवाई नहीं की है। इसके बजाय 27 जून, 2024 को सेबी ने हमें एक ‘कारण बताओ’ नोटिस भेजा। सेबी ने हमारे 106 पेज के विश्लेषण में किसी भी तथ्यात्मक त्रुटि का आरोप नहीं लगाया। बल्कि यह कहा कि जो भी सबूत दिए गए वो अपर्याप्त थे।
माधबी और पति का खाता
हिंडनबर्ग ने कहा, मौजूदा सेबी प्रमुख माधबी और उनके पति धवल के पास उसी अस्पष्ट ऑफशोर बरमूडा और मॉरीशस फंड में सीक्रेट हिस्सेदारी थी, जिसका उपयोग विनोद अडाणी ने किया था। व्हिसिलब्लोअर दस्तावेजों के अनुसार लगता है कि माधबी और धवल ने पहली बार 5 जून, 2015 को सिंगापुर में आईपीई प्लस फंड 1 के साथ अपना खाता खोला था।
एगोरा एडवाइजरी में हिस्सेदारी : हिंडनबर्ग ने कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के रिकॉर्ड की एक प्रति भी पेश की। इसके मुताबिक सेबी प्रमुख के पास एगोरा एडवाइजरी कंसल्टेंसी बिजनेस में 99 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जहां उनके पति एक निदेशक हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2022 में इस इकाई ने कंसल्टेंसी से 2,61,000 डॉलर का राजस्व प्राप्त किया।
सेबी ने प्रोटेक्ट किया सोशल मीडिया अकाउंट
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद सेबी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर अपना अकाउंट प्रोटेक्ट कर दिया। आम लोग उस अकाउंट तक नहीं पहुंच पा रहे थे।
2023 में किया था खुलासा
हिंडनबर्ग ने 24 जनवरी, 2023 को अडाणी ग्रुप पर शेयरों में हेरफेर और ऑडिटिंग फ्रॉड का आरोप लगाते हुए एक रिपोर्ट प्रकाशित की और इसे कॉरपोरेट इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला करार दिया था।