
चंडीगढ़। हिमाचल प्रदेश के बहुचर्चित गुड़िया रेप-मर्डर केस में जांच के दौरान पुलिस कस्टडी में एक आरोपी सूरज की लॉकअप में हत्या के मामले में चंडीगढ़ की सीबीआई कोर्ट ने सोमवार को दोषी पुलिस कर्मियों की सजा पर फैसला सुनाया। कोर्ट ने मामले में दोषी पूर्व आईजी आईपीएस जहूर हैदर जैदी समेत आठ पुलिस अफसरों और कर्मचारियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। सभी दोषियों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
इनकों सुनाई उम्र कैद की सजा
सीबीआई कोर्ट ने न्यायाधीश अलका मलिक की अदालत ने शिमला जिले के कोटखाई में एक नाबालिग लड़की से सामूहिक बलात्कार और हत्या के आरोपी की हिरासत में मौत से संबंधित मामले में 18 जनवरी को जैदी और अन्य को दोषी पाया था। सोमवार को कोर्ट ने हिमाचल के तत्कालीन IG जहूर एच जैदी समेत ठियोग के तत्कालीन DSP मनोज जोशी, SI राजिंदर सिंह, ASI दीप चंद शर्मा, ऑनरेरी हेड कॉन्स्टेबल मोहन लाल और सूरत सिंह, हेड कॉन्स्टेबल रफी मोहम्मद और कॉन्स्टेबल रानित को उम्र कैद की सजा सुनाई है।
जुर्माना भी लगाया
कोर्ट ने शिमला के तत्कालीन SP डीडब्ल्यू नेगी को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था। CBI कोर्ट ने सभी दोषियों पर एक-एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। इससे पहले अदालत ने आज सुबह सभी दोषियों की अपील सुनकर शाम 4 बजे के बाद फैसला सुनाने को कहा था। सीबीआई के लोक अभियोजक अमित जिंदल ने सोमवार को बताया कि अदालत ने इस मामले में 8 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। जिंदल ने बताया कि अदालत ने दोषियों पर 1-1 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया।
हिमाचल के इतिहास में संभवतः यह पहली बार है जब किसी मामले की जांच कर रही एसआईटी को ही उम्रकैद ही सजा हुए हो।
क्या है पूरा मामला
सूरज की हिरासत में मौत के मामले में जैदी और सात अन्य को गिरफ्तार किया गया था। सूरज का 18 जुलाई, 2017 को कोटखाई पुलिस थाने में शव मिला था। हालांकि, आरोपी पुलिस अधिकारियों ने सूरज की हत्या के लिए एक अन्य गिरफ्तार व्यक्ति राजिंदर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली थी। 4 जुलाई, 2017 को कोटखाई में एक 16 वर्षीय लड़की लापता हो गई थी और उसका शव दो दिन बाद 6 जुलाई को हलैला के जंगलों में मिला था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बलात्कार और हत्या की पुष्टि हुई और मामला दर्ज किया गया। राज्य में भारी जनाक्रोश के बीच, तत्कालीन राज्य सरकार ने जैदी की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल का गठन किया था।
एसआईटी ने 6 लोगों को गिरफ्तार किया। पुलिस हिरासत में उसकी मौत के बाद हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने दोनों मामलों की जांच सीबीआई को सौंप दी। इसके बाद सीबीआई ने हिरासत में हुई मौत के सिलसिले में हिमाचल प्रदेश कैडर के 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी जैदी, डीसीपी जोशी और अन्य पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया। सीबीआई ने आपराधिक साजिश, हत्या, झूठे साक्ष्य गढ़ने, सबूत नष्ट करने, कबूलनामा लेने के लिए पुलिस हिरासत में यातना देने, झूठे रिकॉर्ड तैयार करने आदि के लिए गहन जांच के बाद आरोपी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया। बाद में शीर्ष अदालत ने मई 2019 में हिरासत में हुई मौत से संबंधित मामले को शिमला से चंडीगढ़ स्थानांतरित कर दिया।