
प्रीति जैन- जर्नल ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड कम्युनिटी हेल्थ में प्रकाशित एक हालिया स्टडी ने नींद की नियमितता और प्रमुख प्रतिकूल हृदय संबंधी घटनाओं के जोखिम के बीच संबंधों की जांच की। इसमें बताया गया कि नींद की क्वालिटी और क्वांटिटी दोनों मैटर करती है। नियमित नींद का मतलब केवल पर्याप्त घंटों तक सोना नहीं, बल्कि हर दिन एक तय समय पर सोना और जागना भी है। नींद की रेग्युलेरिटी एक तरीका है यह मापने का कि आपकी नींद कितनी नियमित है।
यदि आपका सूचकांक अधिक है तो आपकी हार्ट हेल्थ के लिए लाभकारी हो सकता है। वहीं, कम सूचकांक होने पर हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है, इसलिए सोने और जागने के समय को सेट करना चाहिए। शहर के कई लोग साइकलिंग के शौक के चलते रात को जल्दी सोकर रात में ही 3.30 से सुबह 4 बजे से बीच उठ जाते हैं, ताकि नींद पूरी करके सुरक्षित ढंग से साइकलिंग कर सकें।
ब्रेन स्लीप प्रमोटिंग रिसेप्टर को न होने दे ब्लॉक
रिसर्च के मुताबिक बहुत से लोग रात भर जागकर काम करना पसंद करते हैं और काम खत्म होने के बाद बिस्तर पर लेट जाते हैं, लेकिन इससे भी नींद पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। ऐसा करने से एंजाइटी हो सकती है, इसलिए सोने से 2 घंटे पहले अपना काम पूरा कर लेना चाहिए। सोने से 1 घंटे पहले अपने मोबाइल का इस्तेमाल करना बंद कर देना चाहिए। वहीं, कुछ लोग रात में चाय या कॉफी पीना पसंद करते हैं। साइकोलॉजिस्ट्स का कहना है कि हमें सोने से 10 घंटे पहले कैफीन का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि ये आपके ब्रेन में स्लीप प्रमोटिंग रिसेप्टर को ब्लॉक कर देता है, जो देर से नींद आने या फिर नींद आने में रुकावट पैदा कर सकता है।
सोने-जागने का समय तय होना जरूरी
स्लीप क्वालिटी को मापने के लिए अब गैजेट आ चुके हैं। अब स्ली ट्रैक रिंग व स्लीप मैट्रेस भी आ गए हैं, जो कि स्लीप क्वालिटी को मेजर करते हैं। साइंटिफिक रिसर्च के मुताबिक, सोने और उठने का समय स्लीप क्वालिटी को प्रभावित करता है। वैसे तो जैसे ही अंधेरा होता है, तब शरीर और दिमाग दोनों ही स्लो होने लगते हैं और सूरज उगने पर उठने लगता है, इसलिए अच्छी स्लीप क्वालिटी के लिए रात को 10 बजे सो जाना चाहिए और सुबह 7 बजे के आस-पास उठना चाहिए। लेकिन कई लोग लेट वर्किंग करते हैं, जिसकी वजह से सुबह जल्दी नहीं उठ पाते तो कुछ लोग बिंज वॉचिंग के चलते अपना स्लीपिंग शेड्यूल बिगाड़ लेते हैं। -डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी, मनोचिकित्सक
साइकलिंग से मिलती है क्वालिटी स्लीप
मेरा पैशन साइकलिंग हैं इसलिए मैं पर्याप्त क्वालिटी स्लीप लेने का प्रयास करते हैं। सालों से साइकलिंग करते हुए मैंने देखा है कि जिन लोगों को नींद की समस्या है, साइकलिंग करने से उनकी नींद भी अच्छी हो जाती है। 8 घंटे सोने से ज्यादा जरूरी है कि जितने घंटे सोएं गहरी नींद लें। मैं 6 घंटे की नींद लेता हूं और यह मुझे पर्याप्त लगती है। मैं सुबह 5 बजे उठ जाता हूं। मेरे कई साथी साइकलिस्ट रात 3.30 बजे से साइकलिंग के लिए निकल जाते हैं और वे रात 9 से 10 के बीच सो जाते हैं। मेरा मानना है कि हार्ट व सही ब्रेन फंक्शनिंग के लिए किसी न किसी स्पोर्ट्स से जुड़े, इससे नींद भी अच्छी आती है। -विनोद पांडे, साइकलिस्ट