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Hariyali Teej 2024 : हरियाली तीज का व्रत आज… जानें पौराणिक मान्यता, पूजन विधि और शुभ मुहूर्त

धर्म डेस्क। हिंदू धर्म में सुहागिनों से जुड़ें सभी व्रत और त्योहार को बेहद खास माना जाता है। इनमें हरियाली तीज को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाने वाली हरियाली तीज सुहागिनों का महापर्व है। इस दिन विवाहित स्त्रियां निर्जला व्रत रखती हैं, और भगवान शिव व माता पार्वती जी की आराधना करके पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इस व्रत के प्रभाव से उत्तम पुत्र की प्राप्ति भी होती है। इसके अलावा मान्यता है कि इस दिन जो स्त्रियां श्रद्धा पूर्वक ये उपवास पूर्ण करती हैं, उन्हें धैर्य, सम्मान, प्रेम और शक्ति की प्राप्ति होती है।

हरियाली तीज के शुभ मुहूर्त-

  • इस दिन ब्रह्म मुहूर्त प्रातः 04 बजकर 02 मिनट से प्रातः 04 बजकर 45 मिनट तक रहेगा।
  • प्रातः सन्ध्या मुहूर्त प्रात: 04 बजकर 23 मिनट से सुबह 05 बजकर 28 मिनट तक होगा।
  • इस दिन कोई भी अभिजित मुहूर्त नहीं रहेगा।
  • विजय मुहूर्त दिन में 02 बजकर 15 मिनट से 03 बजकर 08 मिनट तक रहेगा।
  • इस दिन गोधूलि मुहूर्त शाम में 06 बजकर 39 मिनट से 07 बजकर 01 मिनट तक रहेगा।
  • सायाह्न सन्ध्या काल शाम में 06 बजकर 39 मिनट से 07 बजकर 44 मिनट तक रहेगा।
  • अमृत काल दोपहर में 01 बजकर 22 मिनट से 03 बजकर 09 मिनट तक रहेगा।

विशेष योग

  • इस दिन रवि योग 07 अगस्त की रात्रि 08 बजकर 30 मिनट से 08 अगस्त को सुबह 05 बजकर 28 मिनट तक रहेगा।

हरियाली तीज से जुड़ी पौराणिक मान्यता

हरियाली तीज का पर्व शिव-पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, माता पार्वती ने शिव जी को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। इस कड़ी तपस्या के फल स्वरूप 108वें जन्म के बाद श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को भगवान भोलेनाथ ने पार्वती जी को पत्नी के रूप में स्वीकार किया। ऐसी मान्यता है कि तभी भगवान शिव और माता पार्वती ने इस दिन को सुहागिन स्त्रियों के लिए सौभाग्य का दिन होने का वरदान दिया।

हरियाली तीज 2024 का महत्व

हरियाली तीज का पर्व शिव-पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार माता पार्वती ने शिव जी को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। इस कड़ी तपस्या के फल स्वरूप 108वें जन्म के बाद श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को भगवान भोलेनाथ ने पार्वती जी को पत्नी के रूप में स्वीकार किया। ऐसी मान्यता है कि तभी भगवान शिव और माता पार्वती ने इस दिन को सुहागिन स्त्रियों के लिए सौभाग्य का दिन होने का वरदान दिया।

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, हरियाली तीज पर हरे रंग का विशेष महत्व है। इस दिन महिलाएं हरे रंग के वस्त्र व चूड़ियां पहनती हैं, साथ ही सावन के गीत गाते हुए झूला झूलती हैं। इस त्यौहार पर विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की कामना के साथ व्रत रखती हैं और अविवाहित महिलाएं मनोवांछित वर प्राप्ति के लिए श्रद्धापूर्वक इस व्रत का पालन करती हैं।

हरियाली तीज पर विवाहित स्त्रियों के ससुराल में उनके मायके की तरफ से कुछ वस्तुएँ उपहार के रूप में भेजी जाती हैं, जिसे ‘सिंधारा’ के नाम से जाता है। सिंधारा में विशेषतः मिठाई, घेवर, मेहँदी, चूड़ियां आदि वस्तुएं भेंट दी जाती है। इस परंपरा के कारण इस तीज को सिंधारा तीज के नाम से भी लोग जानते हैं। इसके अतिरिक्त हरियाली तीज को छोटी तीज व श्रावण तीज के नाम से भी जाना जाता है।

हरियाली तीज 2024 में पूजा कैसे करें?

  • कई स्थानों पर हरियाली तीज की पूजा प्रदोष काल यानी दिन और रात्रि के मिलन के समय होती है, वहीं कुछ स्थानों पर ये पूजा सुबह के समय की जाती है।
  • हरियाली तीज के दिन सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत होकर हरे रंग के वस्त्र पहनें और 16 श्रृंगार करके तैयार हो जाएं। अगर संभव हो पाए तो आप हरी चूड़ियां पहने और हाथों पर मेहंदी लगा लें।
  • पूजा के लिए आप काली बालू या काली मिट्टी से भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की प्रतिमा बना लें। इसके बाद आप पूजा स्थल पर एक रंगोली बनाएं।
  • रंगोली के ऊपर एक आसन रखें और उसपर लाल कपड़ा बिछा दें। इसके बाद एक नई थाली में केले के पत्ते बिछाएं और उसपर सभी प्रतिमाओं को रख दें, और इन्हें आसन पर स्थापित करें।
  • अब कलश स्थापना करें, और इसके बाद आप शिवलिंग को पंचामृत या जल से अभिषेक करें।
  • अब आप भगवान शिव और भगवान गणेश को अष्टगंध का तिलक लगाएं और माता पार्वती को कुमकुम का तिलक लगाएं।
  • सभी प्रतिमाओं को पुष्प माला पहनाएं। इसके पश्चात आप भगवान गणेश को दूर्वा, धूप, दीप, अक्षत, जनेऊ, पुष्प, फल, वस्त्र आदि अर्पित करें।
  • अब आप भगवान शिव को दूर्वा, बिल्वपत्र, धतूरा, अक्षत, वस्त्र, जनेयु, धूप, दीप आदि चढ़ाएं। माता पार्वती को आप पूजा सामग्री के साथ 16 श्रृंगार की वस्तुएं अवश्य अर्पित करें।
  • भगवान को मेवा, मिठाई, फल, पकवान और खीरे का भोग लगाएं। फिर हरियाली तीज की व्रत कथा सुनें।
  • अंत में भगवान की आरती उतारें और भूल चूक के लिए क्षमा याचना करें।
  • इस दिन रात्रि में भजन कीर्तन करें और अगले दिन नहाने और पूजा करने के बाद ही भगवान को चढ़ाए गए भोग से व्रत का पारण करें।

हरियाली, हरितालिका व कजरी तीज में क्या अंतर है?

हरियाली तीज, कजरी तीज और हरतालिका तीज तीनों ही व्रत भगवान शिव को समर्पित हैं। ये व्रत योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति व अखंड सौभाग्य के लिए किया जाता है। लेकिन ये तीनों व्रत अलग-अलग तिथियों पर किए जाते हैं। हरियाली तीज श्रावण मास में हरियाली अमावस्या के बाद शुक्ल पक्ष में आने वाली तृतीया तिथि पर मनाई जाती है। वहीं कजरी तीज भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि पर मनाई जाती है। हरितालिका तीज का व्रत भाद्रपद शुक्लपक्ष की तृतीया को किया जाता है।

(नोट: यहां दी गई सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। हम मान्यता और जानकारी की पुष्टि नहीं करते हैं।)

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