
नई दिल्ली। भारतीय सेना और वायुसेना के लिए राहत की खबर है। तकनीकी जांच के बाद देश में निर्मित एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (ALH) ध्रुव को उड़ान की मंजूरी दे दी गई है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने इसकी ऑपरेशनल प्रक्रिया फिर से शुरू करने की योजना पर काम शुरू कर दिया है। यह फैसला उस व्यापक जांच प्रक्रिया के बाद लिया गया है, जो 5 जनवरी 2025 को पोरबंदर में हुए एक दुखद हादसे के बाद शुरू की गई थी।
स्वैशप्लेट की खराबी बनी थी हादसे की वजह
5 जनवरी को हुए इस हादसे में भारतीय तटरक्षक बल (Coast Guard) का एक ALH ध्रुव हेलीकॉप्टर पोरबंदर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस हादसे में दो पायलट और एक क्रू मेंबर की मौत हो गई थी। जांच में सामने आया कि हेलीकॉप्टर के स्वैशप्लेट में तकनीकी खराबी थी, जो उड़ान के संतुलन के लिए बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा होता है।
यह खराबी केवल एक हेलीकॉप्टर तक सीमित नहीं थी, बल्कि अन्य ALH ध्रुव हेलिकॉप्टरों में भी संभावित तकनीकी खामी पाए जाने के बाद जनवरी 2025 से सभी 300 से अधिक ALH हेलीकॉप्टरों की उड़ानें रोक दी गईं थीं।
सेना-एयरफोर्स और नेवी के पास बड़ी संख्या में ALH ध्रुव
- इंडियन एयरफोर्स के पास: 107 ALH ध्रुव हेलीकॉप्टर
- इंडियन आर्मी के पास: 191 हेलीकॉप्टर
- इंडियन नेवी के पास: 14 हेलीकॉप्टर
HAL ने वर्ष 2024 तक 400 से अधिक ध्रुव हेलिकॉप्टर का निर्माण किया है, जिसमें सैन्य और नागरिक दोनों वर्जन शामिल हैं। यह हेलीकॉप्टर 5.5 टन वजनी, जुड़वां इंजन, मल्टी-मिशन, नई पीढ़ी का बहुउद्देश्यीय प्लेटफॉर्म है, जिसे पूर्णतः स्वदेशी तकनीक से विकसित किया गया है।
सख्त जांच प्रक्रिया और तकनीकी सुधार के बाद मिली मंजूरी
रक्षा मंत्रालय ने हादसे के बाद एक डिफेक्ट इन्वेस्टिगेशन कमेटी का गठन किया था, जिसका उद्देश्य दुर्घटना के तकनीकी कारणों की पहचान करना और भविष्य की सुरक्षा के लिए व्यापक उपाय लागू करना था। पिछले चार महीनों के दौरान सेना, वायुसेना और तटरक्षक बल के ALH हेलिकॉप्टरों का संचालन पूरी तरह से रोक दिया गया था।
HAL और सशस्त्र बलों ने मिलकर इस दौरान सभी तकनीकी पहलुओं की जांच की और जरूरी सुधारात्मक उपाय अपनाए। 11 अप्रैल 2025 को HAL ने एक स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा था कि जांच प्रक्रिया अंतिम चरण में है और जल्द ही संचालन फिर शुरू किया जाएगा।
25 अप्रैल को स्क्रैमजेट इंजन की सफल टेस्टिंग
सैन्य तकनीक के क्षेत्र में एक और उपलब्धि दर्ज की गई, जब DRDO ने 25 अप्रैल 2025 को हाइपरसोनिक वेपन टेक्नोलॉजी के तहत विकसित स्क्रैमजेट इंजन का 1,000 सेकेंड तक सफल ग्राउंड टेस्ट किया। यह परीक्षण हैदराबाद स्थित डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट लेबोरेटरी (DRDL) द्वारा DRDO की स्क्रैमजेट कनेक्ट टेस्ट फैसिलिटी में किया गया।
इससे पहले जनवरी 2025 में इसी इंजन का 120 सेकेंड का सफल परीक्षण किया गया था। अब 1,000 सेकेंड की टेस्टिंग के बाद यह इंजन फुल स्केल उड़ानों के लिए तैयार माना जा रहा है, जो भारत को हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक में अग्रणी बनाएगा।
ALH ध्रुव की विशेषताएं
- पूरी तरह स्वदेशी डिजाइन और निर्माण
- 5.5 टन भार वर्ग में जुड़वां इंजन
- बहु-भूमिका और बहु-मिशन क्षमताओं से लैस
- सैन्य और नागरिक उपयोग के लिए अनुकूल
- अब तक HAL द्वारा 400+ ध्रुव हेलीकॉप्टरों का निर्माण