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Gyanvapi ASI Survey : ज्ञानवापी सर्वे को मिला 56 दिन का अतिरिक्त समय, मसाजिद कमेटी ने किया ASI सर्वे का विरोध

वाराणसी। ज्ञानवापी सर्वे को लेकर वाराणसी जिला कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण पूरा करने और अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को 8 सप्ताह का अतिरिक्त समय दे दिया।

सरकारी वकील राजेश मिश्रा ने बताया कि जिला न्यायाधीश एके विश्वेश ने मस्जिद की अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी आपत्ति को खारिज कर दिया और ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण कार्य को पूरा करने के लिए ASI को 8 सप्ताह का और समय प्रदान किया। वहीं, गुरुवार को भी सर्वे शुरू होने के बाद मुस्लिम पक्ष ने विरोध जताया था, जिसके चलते सर्वे रोका गया था।

ASI की टीम को सौंपी जांच

प्रभारी जिला न्यायाधीश (एडीजे-प्रथम) संजीव सिन्हा ने गत शनिवार को मामले को जिला न्यायाधीश की अदालत में सुनवाई के लिए 8 सितंबर को सूचीबद्ध किया था, क्योंकि उस समय जिला न्यायाधीश छुट्टी पर थे। ASI की टीम यह निर्धारित करने के लिए ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण कर रही है कि क्या 17वीं शताब्दी की मस्जिद का निर्माण हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया था। सर्वेक्षण तब शुरू हुआ जब इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने वाराणसी जिला अदालत के आदेश को बरकरार रखा और फैसला सुनाया कि यह कदम “न्याय के हित में आवश्यक” है और इससे हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों को लाभ होगा।

7 सितंबर को सर्वे नहीं कर सकी टीम

ज्ञानवापी परिसर में सर्वे पर अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी 3 सितंबर से लगातार अपना विरोध दर्ज करा रही है। ASI की टीम से 4 तारीख पर सुनवाई के बाद मुस्लिम पक्ष ने सर्वे नहीं करने की अपील की थी, लेकिन सर्वे जारी रहा। 7 सितंबर गुरुवार को मसाजिद कमेटी के विरोध के बीच ASI की 30 सदस्यीय टीम ज्ञानवापी परिसर में सर्वे नहीं कर सकी।

जांच से ढांचे को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा

26 जुलाई को सुनवाई के दौरान ASI ने कोर्ट में हलफनामा देते हुए कहा था कि जांच से ढांचे को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा। इस दौरान मुस्लिम पक्ष ने सर्वे का विरोध किया। भारतीय पुरात्व सर्वेक्षण के अधिकारी आलोक त्रिपाठी ने कहा, ‘सर्वे में प्रॉपर्टी रिकॉर्ड की जाती है। छोटी मशीन से सैंपल बताया जाता है। फोटो में क्लोजअप लिया जाता है।’ सुनवाई में मंदिर पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि मॉर्डन तकनीक से स्ट्रक्चर की जांच की जा सकती है, वो भी बिना नुकसान पहुंचाए।

अगस्त 2021 में शुरू हुआ विवाद

दरअसल, अगस्त 2021 में पांच महिलाओं ने वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिविजन) के सामने एक वाद दायर किया था। उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद के बगल में बने श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना पूजा और दर्शन करने की अनुमति देने की मांग की थी। महिलाओं की याचिका पर जज ने ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कराने का आदेश दिया था, पिछले साल तीन दिन तक सर्वे हुआ था। जिसके बाद हिंदू पक्ष ने यहां शिवलिंग मिलने का दावा किया था।

वाराणसी कोर्ट ने दिया था ASI सर्वे का आदेश

वाराणसी कोर्ट ने शुक्रवार को ज्ञानवापी मस्जिद का ASI सर्वे कराने की इजाजत दी। विवादित हिस्से को छोड़ कर पूरे परिसर की ASI सर्वे को मंजूरी मिली। मुस्लिम पक्ष ने सर्वे का विरोध किया था, लेकिन कोर्ट ने सभी दलीलों को सुनने के बाद यह फैसला सुनाया। दरअसल, वाराणसी के चर्चित श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी मामले में 14 जुलाई को मस्जिद का सर्वे कराने की याचिका पर सुनवाई पूरी हो गई थी। जिसके बाद जिला जज ने ऑर्डर रिजर्व कर लिया था। जज अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए ASI सर्वे का आदेश दिया।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के ASI सर्वे पर गुरुवार (27 जुलाई) को दोनों पक्षों की दलीलें सुनी थी। इसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। वहीं अब कोर्ट ने आज यानी 3 अगस्त को फैसला सुनाया। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मस्जिद परिसर के भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (ASI) के लिए वाराणसी जिला अदालत के 21 जुलाई के आदेश के खिलाफ अंजुमन मस्जिद समिति द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की थी। सुनवाई चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर ने की थी।  हाईकोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की याचिका खारिज कर दी। इसके साथ ही तत्काल रूप से सेशन कोर्ट के आदेश का पालन करने यानी सर्वे शुरू करने का ऑर्डर दिया। याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि, न्यायहित में ASI का सर्वे जरूरी है। कुछ शर्तों के तहत इसे लागू करने की आवश्यकता है।

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