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ग्वालियर के पड़ावली का ‘ शार्दूल’ बना नए संसद भवन की शान

पौराणिक गाथाओं में और प्राचीन स्मारकों में स्थापित की जाने वाली मूर्ति जैसी प्रतिमा नई संसद में रखी गई

अर्पण राऊत-ग्वालियर। मुरैना जिले के पड़ावली (64 योगिनी) मंदिर में रखा पौराणिक कथाओं का शार्दूल अब नए संसद भवन की शान बढ़ा रहा है। देश के ऐतिहासिक मंदिरों के द्वार पर इन्हें सुशोभित करना शुभ माना जाता है। ऐसे में दो शार्दूल वास्तु के लिहाज से संसद भवन के द्वार पर विराजमान हैं।

नए संसद भवन का मोदी सरकार में उद्घाटन हुआ है। इस खूबसूरत भव्य भवन में छह प्रवेश द्वार बनाए गए हैं। इनमें एक द्वार का नाम शार्दूल रखा गया है। यह शार्दूल मप्र के मुरैना स्थित दसवीं सदी के पड़ावली मंदिर में था। गौरतलब है कि पुराना संसद भवन भी इसी मंदिर पर आधारित है। अब नए भवन में यहां स्थापित शार्दूल की प्रतिमा की दो मूर्तियां रखी गई हैं।

कौन है शार्दूल

यह एक पौराणिक जीव के रूप में जाना जाता है, जो सबसे शक्तिशाली, सभी जीवित प्राणियों में अग्रणी कहा जाता है। जो देश के लोगों की शक्ति के साथ ओजस्विता और विजय का प्रतीक है। इसे मां दुर्गा की सवारी भी कहा जाता है।

गूजरी महल में है : इतिहासकारों का दावा है कि पड़ावली मंदिर में भी दो शार्दूल थे। वहीं पुरातत्व विभाग ने किले के गूजरी महल म्यूजियम में दो शार्दूल रखे हैं। खजुराहो और देश के डेढ़ से दो हजार साल पुराने मंदिरों में भी यह देखने मिल जाते हैं।

ये सही है कि पड़ावली और गूजरी महल में शार्दूल की ऐतिहासिक प्रतिमा है। यह प्रतिमा प्राचीन मंदिरों व किले में सुरक्षा का प्रतीक मानी जाती थीं। संसद भवन में भी इसी पौराणिक महत्व के लिहाज से लगाई गई होगी। – रमाकान्त चतुर्वेदी, पुरातत्वविद् मप्र

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