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सरकार ने अतिक्रमण से घिरी जमीन बेची, खरीदारों ने जमा नहीं की किस्त

भोपाल के एमपी नगर सहित कई जिलों में दर्जनों भूखंडों को नहीं मिल रहे खरीदार

भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार की झांसी स्थित 14 हजार स्क्वायर फीट से अधिक जमीन खरीदने के लिए सर्वाधिक बोली लगाने के बाद भी लखनलाल गुप्त ने इसे लेने से हाथ खड़े कर दिए हैं। कुछ इसी तरह की स्थिति छिंदवाड़ा जिले में बनी। मुकेश सोनी ने सर्वाधिक बोली लगाकर सरकारी जमीन जिले में खरीदी थी पर इसे नहीं लिया। इसका कारण जमीन पर अतिक्रमण और मालिकाना हक लोक परिसंपत्ति प्रबंधन के पास नहीं होना है।

पीपुल्स समाचार ने जब पड़ताल की तो पता चला कि ये स्थिति प्रदेश भर में बन रही है। हालात ये हैं कि राजधानी की जिस प्राइम लोकेशन में कारोबारी छोटे-छोटे भूखंडों को खरीदने के लिए मुंह मांगी रकम देने में पीछे नहीं हटते, वहीं सरकार इसी क्षेत्र में (डीबी मॉल के सामने) एक भूखंड कोे बेचने के लिए एक खरीदार तक नहीं ढूंढ पाई है। प्रदेश एक दर्जन से अधिक भूखंड हैं, जिन्हें खरीदने लोग आगे नहीं आ रहे हैं। इन्हें बेचने के लिए लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग ने फिर से टेंडर जारी किए हैं।

एक दर्जन से ज्यादा लोगों की जमानत राशि जब्त

निविदा में सर्वाधिक बोली लगाकर भूखंड लेने वालों की धरोहर राशि जब्त कर ली है। इन्हें अगली किस्त जमा करने के लिए कहा है। जब तक ये अगली किस्त जमा नहीं करते हैं तब तक इन्हें न तो जमीन मिलेगी और नहीं राशि वापस की जाएगी। बताया जाता है लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग ने एक दर्जन से अधिक लोगों की राशि जब्त की है।

500 कार्यालयों को उपलब्ध कराई गई है प्रॉपर्टी

लोक परिसंपत्ति विभाग में सरकार के 44 विभागों ने अपनी प्रापर्टी (भूमि, भवन, प्लांट, सहित अन्य) बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है। इसमें से सरकार के सभी 52 विभागों के 500 कार्यालयों को ऑफिस स्पेस, भवन, भूमि उपलब्ध कराई गई है। अब जो जगह बची, उसे खुले बाजार में बेचा जा रहा है। पिछले पांच वर्ष में 67 प्रॉपर्टियां बेची गई हैं।

35 भूखंड बेचने जारी किए टेंडर

लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग ने हाल ही में एमपी नगर के प्राइम लोकेशन में भोपाल सहित प्रदेश में 17 जिलों में 35 भूखंड बेचने के लिए टेंडर जारी किए हैं। इसमें भोपाल, इंदौर, जबलपुर में सबसे ज्यादा प्रॉपर्टियां हैं। अकेले भोपाल जिले में ही डीबी मॉल, बैरागढ़, पिपलनेर, हिनौतिया आलम में प्रापर्टी है। प्रदेश की सभी प्रॉपर्टियां इस समय पर व्यावसायिक और शहर के बीचोंबीच हैं। इसमें ज्यादातर प्रॉपर्टियां पर अतिक्रमण से घिरी हुई हैं। जिन्हें सबसे पहले सरकार को अतिक्रमण मुक्त कराना होगा, उसके बाद बाउंड्री बनानी होगी।

नीलामी के बाद प्रॉपर्टी नहीं लेने वालों से जानिए कारण

लोक परिसंपत्ति विभाग द्वारा जारी टेंडर के जरिए जमीन ली थी, जमीन में अतिक्रमण है। इसके चलते विभाग को अतिक्रमण मुक्त कराकर जमीन उपलब्ध कराने के लिए पत्र लिखा था। अतिक्रमण मुक्त नहीं कराने पर मैंने दूसरी किस्त जमा नहीं की। -तुलसी गर्ग, श्योपुर जिले में जमीन खरीदने वाले

जिस जमीन को लोक परिसंपत्त्ति विभाग ने टेंडर जारी किया था, उसमें पहले से ही कब्जे और मालिकाना हक को लेकर कोर्ट केस चल रहा है। मैंने इस जमीन को खरीदने के लिए टेंडर में हिस्सा लिया था, सबसे महंगी बोली लगाई। अब इसमें कब्जा दूसरे का है। इसके चलते मैंने किस्त जमा नहीं की। विभाग के खिलाफ कोर्ट केस कर दिया। -लखन लाला गुप्ता, झांसी यूपी में जमीन खरीदने वाले

संपर्क कर पक्ष रखना जरूरी

उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में स्थित भूखंड का मामले कोर्ट में चल रहा है। निविदा में हिस्सा में शामिल होने से पहले जमीन की भौतिक स्थिति देना चाहिए। अगर कोई दिक्कत है तो इस मामले में विभाग से संपर्क कर अपना पक्ष रखना जरूरी है। -अनिरुद्ध मुखर्जी, मैनेजिंग डायरेक्टर, लोक परिसंपत्ति विभाग मप्र

(इनपुट-अशोक गौतम)

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