
भोपाल। मध्यप्रदेश में वैसे तो छोटी-बड़ी नदियों की संख्या करीब 300 है, लेकिन ज्यादातर सूखी पड़ी रहती हैं। नर्मदा, क्षिप्रा, चंबल, सोन, बेतवा, तवा और केन जैसी करीब एक दर्जन से अधिक बड़ी नदियां भी हैं, लेकिन इन पर भी संकट मंडराने लगा है। मप्र सरकार ने नदियों को निर्मल और सदानीरा बनाने नए सिरे से कवायद शुरू की है। इसके लिए नदी शोध संस्थान के गठन का प्रस्ताव है। जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट का दावा है कि हम जल्दी ही नदियों सहित सभी जलस्रोतों को बचाने के लिए सख्त कदम उठाएंगे। प्रदेश के अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन संस्थान से नदियों को बचाने की खातिर दृष्टि पत्र भी तैयार कराया गया है।
ऐसा होगा रोडमैप…
क्षिप्रा पर फोकस: सिंहस्थ आयोजन के मद्देनजर क्षिप्रा पर फोकस। अतिक्रमण मुक्ति: कैचमेंट क्षेत्र में मौजूद अतिक्रमण हटाएंगे। अवैध उत्खनन और प्रदूषण रोकेंगे। तटों पर वन क्षेत्र: दोनों तटों पर निश्चित एरिया वन क्षेत्र बनेगा। पौधरोपण, घाटों की सफाई होगी।
जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट से सीधी बात
- प्रदेश में नदियों को बचाने की मुहिम कहां तक पहुंची? जल्दी एक्शन प्लान पर काम शुरू होगा। मुख्यमंत्री ने 10 जून को बैठक भी बुलाई है।
- क्षिप्रा कैसे सदानीरा बनेगी? नदी क्षेत्र में समन्वित जल संसाधन प्रबंधन करेंगे। केन-बेतवा व चंबलसिं ध को लेकर पूर्व पीएम अटलजी का सपना भी साकार करेंगे।
- नदी शोध संस्थान कब तक गठित होगा ? जल्दी ही काम शुरू करेंगे। ड्राμट समिति में रहे रवींद्र शुक्ला ने इसका कॉन्सेप्ट डाक्यूमेंट मुझे सौंपा है।