धर्म डेस्क। गोवर्धन का पर्व आज मनाया जा रहा है। गोवर्धन पूजा हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो दिवाली के अगले दिन मनाया जाता है। लेकिन इस बार अमावस्या तिथि दो दिन होने की वजह से गोवर्धन पूजा 02 नवंबर को है। यह त्योहार भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत से जुड़ी एक पौराणिक कथा पर आधारित है। इस दिन मुख्य रूप से भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है।
गोवर्धन पूजा शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, गोवर्धन पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा की तिथि 1 नवंबर शाम को 6 बजकर 16 मिनट पर शुरू हुई और तिथि का समापन 2 नवंबर रात 8 बजकर 21 मिनट पर होगा। गोवर्धन पूजन के लिए आज तीन सबसे शुभ रहेंगे।
- पहला मुहूर्त : सुबह 6 बजकर 34 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 46 मिनट तक रहेगा।
- दूसरा मुहूर्त : दोपहर 3 बजकर 23 मिनट से लेकर शाम 5 बजकर 35 मिनट तक रहेगा।
- तीसरा मुहूर्त : शाम 5 बजकर 35 मिनट से लेकर 6 बजकर 01 मिनट तक रहेगा।
गोवर्धन पूजा विधि
- गोवर्धन पूजा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करें।
- शुभ मुहूर्त में गाय के गोबर से गिरिराज गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं और साथ ही पशुधन यानी गाय, बछड़े आदि की आकृति भी बनाएं।
- धूप-दीप आदि से इसकी विधिवत पूजा करें। भगवान कृष्ण को दुग्ध से स्नान कराने के बाद उनका पूजन करें।
- इसके बाद अन्नकूट का भोग लगाएं।
गोवर्धन पूजन सामग्री
देवता को अर्पित की जाने वाली मिठाई, अगरबत्ती, फूल, ताजे फूलों से बनी माला, रोली, गोवर्धन पूजा सामग्री की सूची में चावल और गाय का गोबर सभी शामिल हैं। छप्पन भोग, जिसमें 56 विभिन्न खाद्य पदार्थ होते हैं, तैयार किया जाता है, और पंचामृत शहद, दही और चीनी का उपयोग करके बनाया जाता है।
गोवर्धन पूजा का महत्व
- प्रकृति पूजन: गोवर्धन पूजा प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का एक अवसर है। यह हमें सिखाता है कि हमें प्रकृति का सम्मान करना चाहिए और इसका संरक्षण करना चाहिए।
- अहंकार का नाश: इस पर्व के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण ने हमें अहंकार त्यागने और ईश्वर पर विश्वास करने का संदेश दिया।
- सामूहिकता का प्रतीक: गोवर्धन पूजा हमें एक साथ आने और सामूहिक रूप से प्रार्थना करने का अवसर प्रदान करती है।
गोवर्धन पूजा की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने अपने बचपन में इंद्र देव के अहंकार को चूर-चूर कर दिया था। इंद्र देव ने ब्रजवासियों पर प्रचंड बारिश करके उन्हें सजा देने का फैसला किया। भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर ब्रजवासियों को बचाया। इस घटना के स्मरण में ही गोवर्धन पूजा मनाई जाती है। यही कारण है कि गोवर्धन पूजा में गिरिराज के साथ कृष्ण जी के पूजन का भी विधान है। इस दिन अन्नकूट का विशेष महत्व माना जाता है। मान्यता है कि जो भी गोवर्धन पूजा को पूरे विधि-विधान से करता है, उसके धन-संतान, समृद्धि और सुख में वृद्धि होती है।
(नोट: यहां दी गई सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। हम मान्यता और जानकारी की पुष्टि नहीं करते हैं।)