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गोवा को हमारे भालू पसंद नहीं, इसलिए बायसन देने से इनकार

दूसरे राज्यों के जू वन विहार को जिराफ- जेब्रा देने को राजी नहीं, यूरोपियन कंट्रीज से लाने पर विचार

भोपाल। गोवा को वन विहार नेशनल पार्क का भालू पसंद नहीं आया, इसलिए उसने बायसन देने से मना कर दिया है। वन विहार में वर्तमान में 20 भालू हैं। अब महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना आदि के जू से बायसन लाने पर विचार चल रहा है। इधर, वन विहार को जेब्राजिराफ भी कोई राज्य देने को तैयार नहीं है। हालांकि पार्क प्रबंधन का दावा है कि यूरोपियन कंट्रीज से इसे लाने पर विचार किया जा रहा है।

कूनो में चीता लाने से पहले दक्षिण अफ्रीका गए वन मंत्री विजय शाह ने वहां से लौटने के बाद वन विहार में जिराफ-जेब्रा लाने की घोषणा की थी। केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण से भी इसकी सैद्धांतिक स्वीकृति मिल चुकी है। पार्क प्रबंधन ने करीब 6 माह पहले एक्सचेंज पॉलिसी के तहत कोलकाता, मैसूर, पुणे सहित देश के 11 चिड़ियाघरों को जेब्रा और जिराफ देने के लिए पत्र लिखा था। मैसूर चिड़ियाघर में करीब 30 जिराफ हैं। लेकिन सबने इनकार कर दिया। वहीं एक्सचेंज पॉलिसी के तहत वन विहार ने गोवा जू को भालू देकर वहां से एक मादा और एक नर बायसन लाने पर चर्चा की थी।

3 करोड़ का बजट मांगा: जानकारी के अनुसार, जेब्रा, जिराफ और बायसन लाने के लिए वन विहार प्रबंधन ने करीब तीन करोड़ रुपए का बजट केंद्र सरकार से मांगा है। अभी तक बजट की मंजूरी नहीं मिली है।

जू का प्राणी ही लाया जा सकता है: पार्क प्रबंधन का कहना है कि सिर्फ जू के वन्य प्राणियों को ही लाया सकता है। केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की गाइडलाइन के मुताबिक, खुले जंगल में रहने वाले वन्य प्राणियों को वन विहार नहीं लाया जा सकता।

दक्षिण अफ्रीका से लाने पर प्रतिबंध

दूसरे राज्यों के इनकार के बाद पार्क प्रबंधन ने अफ्रीका से जिराफ और जेब्रा लाने की योजना बनाई थी। वन विभाग के एक्सपर्ट बताते हैं कि फुट एंड माउथ डिजीज के चलते वहां से वन्यप्राणी लाने पर भारत सरकार ने प्रतिबंध लगा रखा है। इसलिए यूरोपियन कंट्रीज से लाने पर विचार किया जा रहा है।

गोवा को हमारा भालू पसंद नहीं आया, इसलिए बायसन देने से मना कर दिया। अब हम अन्य राज्यों से चर्चा कर रहे हैं। इसी तरह जेब्रा-जिराफ भी नहीं मिल पा रहे हैं। यूरोपियन कंट्रीज से लाने पर विचार कर रहे हैं। इसके लिए 3 करोड़ का बजट केंद्र सरकार से मांगा है। – पदमप्रिया बालाकृष्णन, फील्ड डायरेक्टर, वन विहार नेशनल पार्क

(इनपुट-संतोष चौधरी)

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