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एडमिशन से पहले कराएं बच्चों का आई टेस्ट, लेजी आई प्रॉब्लम से कमजोर हो रहा विजन

वर्ल्ड साइट डे आज: चार से पांच साल के बच्चों में बढ़ रहा मायोपिया,सिरदर्द और चक्कर आना

चार से पांच साल के बच्चों के केस आई स्पेशलिस्ट के पास आ रहे हैं जिन्हें सिरदर्द और चक्कर आने जैसा महसूस होता है। डॉक्टर्स जब उनसे पूछते हैं कि चक्कर आना होता क्या है तो वे बताते हैं कि सिर गोल-गोल घूमता है। नेत्र रोग विशेषज्ञ कहते हैं, हमें यह सुनकर हैरानी होती है कि इतने छोटे बच्चों को इस तरह की समस्याएं हो रही हैं। पांच से 15 साल की उम्र के बच्चों में तेजी से मायोपिया यानी माइनस नंबर बढ़ रहा है, क्योंकि उनका स्क्रीन टाइम लगातार बढ़ रहा है। वहीं बड़ों में ड्राई आई की समस्या हो रही है जिसके चलते आंखों में नेचुरल टियर्स नहीं बन पा रहे। डॉक्टर्स का यह भी कहना है कि स्कूल एडमिशन से पहले बच्चे का आई टेस्ट करा लें, क्योंकि उसकी नजर कमजोर हुई तो दूसरी आंख पर प्रेशर ज्यादा आएगा। वर्ल्ड साइट डे के मौके पर जानिए डॉक्टर्स के अनुभव व राय।

बच्चों की आंखों में तिरछेपन की समस्या

पहले कंप्यूटर स्क्रीन फिर लैपटॉप और अब मोबाइल के जरिए ही सारा काम हो रहा है, जिसकी वजह से आंखें पास की चीजें देख रही हैं और उनकी मसल्स पर लगातार प्रेशर बढ़ रहा है। बच्चे हो या बड़े, दूर के नजारों से दूर हो रहे हैं, जो कि उनके मायोपिया का कारण है। डॉ. विनिता रामनानी कहती हैं, सभी की दूर की नजर कमजोर हो रही है, क्योंकि मसल्स को जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं, और बच्चों में इसका परिणाम आंखों के तिरछेपन के रूप में सामने आने लगा है, लेकिन पेरेंट्स समय रहते सचेत हो जाएं तो यह ठीक भी हो सकता है। पूरी तरह से मोबाइल का इस्तेमाल बंद करके बच्चों को गार्डन में हरियाली के करीब ले जाएं ताकि वे आंखों में राहत महसूस करें और दूर तक देखें, जिससे उनकी आंखों की मसल्स रिलेक्स हो।

5 साल के बच्चों को सिरदर्द की शिकायत

नींद पूरी न होना, 2 घंटे से ज्यादा मोबाइल स्क्रीन पर समय बिताना, ओटीटी पर लगातार मनोरंजन कार्यक्रमों को देखने की लत जैसे कारण आंखों को समय से पहले कमजोर कर रहे हैं, जिसकी वजह से लोगों को सिरदर्द, माइनस नंबर बढ़ने जैसी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। पांच साल के बच्चों से लेकर युवाओं तक में यह समस्या ज्यादा देखी जा रही है। मेरा पेरेंट्स से सीधा कहना होता है कि अब आप खुद मोबाइल से दूर हो जाएं तभी बच्चे में बदलाव आएगा। कई पेरेंट्स चाहते हैं कि वो तो दिनभर मोबाइल देखें, लेकिन बच्चा न देखे तो यह संभव नहीं है। वहीं बड़ों में एसी रूम में बैठे रहने के कारण विटामिन-डी की कमी हो जाती है जिससे आंखों में रूखापन आता है। यह भी ड्राई आई का कारण है। -डॉ. विनिता रामनानी, नेत्र रोग विशेषज्ञ

20:20:20 के रूल को करते रहें फॉलो

मेरा सुझाव है कि स्कूल एडमिशन से पहले बच्चे की आंखें चेक करा लें, क्योंकि यदि एक आंख में विजन कम हुआ तो बच्चे को पता नहीं चलेगा और वो दूसरी आंख पर निर्भर होता चला जाएगा जिससे कमजोर विजन वाली आंख और भी कमजोर होती चली जाएगी, जिसे लेजी आई प्रॉब्लम कहते हैं। स्थिति यह है कि 5 से 10 साल के बच्चों के लगातार माइनस नंबर हम लगा रहे हैं, क्योंकि वे दूर का नहीं देख पा रहे। पेरेंट्स बच्चों को हरियाली में ले जाएं और खुद भी काम करते हुए हर 20 मिनट में 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूरी पर देखें, ताकि आंखें रिलेक्स हो सकें। मेरे पास कई केस ऐसे आ रहे हैं जिसमें दिन के 10 से 12 घंटे लोग मोबाइल पर बिता रहे हैं जो कि आंखों को कमजोर कर रहा है। -डॉ. गजेंद्र चावला, नेत्र रोग विशेषज्ञ

(इनपुट-प्रीति जैन)

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