भोपालमध्य प्रदेश

कचरा वाहन के ड्राइवरों की हड़ताल, राजधानी से नहीं उठा सैकड़ों टन कचरा, प्लांट पर नारेबाजी

कोलार स्थित जोन 18 के कार्यालय पर आज सुबह निगम के कर्मचारियों ने जमकर नारेबाजी की साथ ही सफाई से जुड़े सारे वाहन खड़े रहे।

भोपाल। राजधानी में आज अपनी मांगों को लेकर कचरा वाहन चालकों ने शहर से कचरा नहीं उठाया। इस वजह से शहर में ज्यादातर स्थानों से कचरा नहीं उठाया गया। सबसे अधिक डोर टू डोर कचरा कलेक्शन प्रभावित हुआ। लोगों के घरों से एकत्र किया जाने वाला कचरा, वाहनों के नहीं चलने के कारण एकत्र नहीं हुआ इस कारण सैंकड़ों टन कचरा नहीं उठ पाया। मध्यप्रदेश शासकीय वाहन चालक यांत्रिक कर्मचारी संघ द्वारा 3 सूत्रीय मांगोें को लेकर ज्ञापन सौंपा गया था।

ड्रायवर यूनियन से जुड़े चालकों ने अपनी मांगों को लेकर निगम के सभी कचरा प्लांट पर नारेबाजी कर प्रदर्शन किया। कोलार स्थित जोन 18 के कार्यालय पर आज सुबह निगम के कर्मचारियों ने जमकर नारेबाजी की साथ ही सफाई से जुड़े सारे वाहन खड़े रहे। यही हाल शहर के अन्य क्षेत्रों में भी रहा। ओल्ड सिटी में सफाई कर्मियों पर एएचओ ने काम पर जाने के लिए दबाव बनाया।

उधर नगर निगम के अधिकारियों का कहना हैं कि एक गुट ने कल हड़ताल स्थागित कर दी थी। हड़ताल के कारण कहीं-कहीं सफाई व्यवस्था ठप रही। दूसरा गुट की मांगों के संबंध में शासन को पत्र लिखकर अवगत कराया गया है।

ड्रायवर यूनियन की मांगें : दैवेभो को किया जाए नियमित

विनियमित कर्मचारियों को नियमित किया जाए। दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को नियमित किया जाए। जो जिस पद पर वर्षों से कार्य कर रहा है। उसे उसी पद पर संबोधित किया जाए। इन तीन सूत्रीय मांगों को लेकर एक दिन की हड़ताल की गई।

गुमराह करने का लगाया आरोप

अखिल भारतीय सफाई मजदूर कांग्रेस ट्रेड यूनियन के अनिल श्रवण का कहना हैं कि निगम ने हमारी मांगें मान ली है। इसलिए हमने हड़ताल को स्थागित कर दिया था। निगम के सफाई कर्मी काम पर निकले, लेकिन उनको गुमराह किया। शहर में रोजाना की तरह सफाई की गई है।

डोर टू डोर कचरा कलेक्शन हुआ प्रभावित

विभागीय सूत्रों के अनुसार शहर से आज 300 टन से अधिक कचरा नहीं उठाया गया। इससे कॉलोनियो, बस्तियों और गलियों में कचरे के ढेर लगे रहे। लोगों ने निगम के कॉल सेंटर में फोन करके कचरा उठाने की शिकायत की, लेकिन कचरा उठाने के लिए कोई वाहन नहीं आए। इससे
दिनभर लोगों को कचरे की बदबू में रहना पड़ा।

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