
Ganesh Utsav : उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में गंगोलीहाट कस्बे में सुरम्य वादियों के बीच है पाताल भुवनेश्वर गुफा। कहा जाता है कि इसी गुफा में गणेशजी के जन्म की घटना हुई थी और यहीं शिवजी ने त्रिशूल से उनका सिर काटा था। ऐसे प्रमाण हैं कि आदि शंकराचार्य ने 1191 ई. में इस गुफा के दर्शन किए थे। माना जाता है कि यहां गणेशजी के कटे सिर के प्रमाण मिलते हैं। पीपुल्स अपडेट में सुनिए उत्तराखंड की पाताल भुवनेश्वर गुफा की कहानी…
राजा ऋतुपर्णा ने थी गुफा की खोज
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में गंगोलीहाट कस्बे में सुरम्य वादियों के बीच है पाताल भुवनेश्वर गुफा। कहा जाता है कि इसी गुफा में गणेशजी के जन्म की घटना हुई थी और यहीं शिवजी ने त्रिशूल से उनका सिर काटा था। ये सिर आज भी पाताल भुवनेश्वर गुफा में सुरक्षित है। गुफा में गणेशजी को आशीर्वाद देने आए 33 कोटि देवी देवता भी मौजूद हैं। भक्तों की आस्था का केंद्र यह गुफा पहाड़ में करीब 90 फीट अंदर की ओर है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से दर्शनार्थी पहुंचते हैं।
ऐसे प्रमाण हैं कि आदि शंकराचार्य ने 1191 ई. में इस गुफा का दर्शन किया था। स्कंद पुराण के ‘मानस खंड’ में बताया गया है कि एक हिरण का पीछा करते हुए यहां पहुंचे राजा ऋतुपर्णा ने इस गुफा की खोज की थी, जो सूर्य वंश के राजा थे और त्रेता युग में अयोध्या पर शासन करते थे। उन्हें उस दिन गुफा में भगवान शिव सहित 33 करोड़ देवी देवताओं के दर्शन हुए थे।
इस गुफा से चलता है कलयुग का अंत
इस गुफा से पता चलता है कि कलयुग का अंत कब होगा। यहां चारों युगों के प्रतीक 4 पत्थर हैं और कलयुग का प्रतीक पत्थर धीरे धीरे ऊपर उठ रहा है। कहते हैं कि 1 हजार साल में यह पत्थर 1 इंच बढ़ता है और जिस दिन यह दीवार से टकरा जाएगा उस दिन कलयुग का अंत हो जाएगा।
इसी गुफा में केदारनाथ, बद्रीनाथ और अमरनाथ की शिला रूप मूर्तियां हैं। यहां पर कामधेनु गाय का थन बना हुआ है। कहा जाता है कि इस गाय के थन से कलयुग होने के कारण अब दूध की जगह पानी निकलना शुरू हो गया है। इस गुफा में भैंरव जीभ भी है। मान्यता है कि जो इस मुंह से गर्भ में प्रवेश कर पूछ तक पहुंच जाएगा उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाएगी। शेषनाग और गरुड़ की मूर्तियों के अलावा कई कुंड से सुसज्जित पाताल भुवनेश्वर मंदिर में ऐसे ही कई प्राचीन प्रमाण आज भी देखे जा सकते हैं।