भोपाल। आज गणेश चतुर्थी के साथ ही 10 दिनी गणेश उत्सव शुरू हो रहे हैं। किसी भी काम को शुरू करने से पहले भगवान गणेश की अराधना की जाती है। मान्यता है कि लंबोदर विघ्नहर्ता हैं। वह किसी भी काम में आने वाली सभी बाधाओं को दूर कर देते हैं। भगवान गजानन लोक मंगल के देव हैं, उनका उद्देश्य लोक लोक का कल्याण। इस लोक में जहां कहीं भी अमंगल होता है भगवान वहां पर अग्रणी रहते हैं। भगवान के पूजा-अर्चना करने वाले पर उनकी कृपा सदैव बनी रहती है।
इन बातों का रखें ध्यान
भगवान की पूजा करते समय छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना जरूरी है। अक्सर जानकारी के अभाव में भक्त भगवान को कुछ चीजें चढ़ाना भूल जाते हैं। इनमें पहला है मोदक का भोग, दूसरा दूर्वा (एक प्रकार की घास) और तीसरा घी। ये तीनों ही भगवान को बहुत पसंद हैं। इसीलिए जो भी व्यक्ति पूरी आस्था से गणपति जी की पूजा में ये चीजें चढ़ाता है तो उसे भगवान का आशीर्वाद जरूर प्राप्त होता है।
क्यों चढ़ाते हैं प्रसाद में मोदक
गणपति के पूजन में प्रसाद के रूप में खासतौर पर मोदक का भोग जरूर लगाया जाता है। मान्यता है कि मोदक भगवान को बहुत पसंद है। वहीं इसके पीछे पौराणिक मान्यताएं भी हैं। पुराणों के अनुसार गणपति और परशुराम के बीच युद्ध चल रहा था, उस दौरान गणपति का एक दांत टूट गया। इसके चलते उन्हें खाने में काफी परेशानी होने लगी। उनके कष्ट को देखते हुए कुछ ऐसे पकवान बनाए गए जिसे खाने में आसानी हो और उससे दांतों में दर्द भी ना हो। उन्हीं पकवानों में से एक मोदक था। मोदक खाने में काफी मुलायम होता है। माना जाता है कि भगवान को मोदक बहुत पसंद आया था और तभी से वो उनका पसंदीदा मिष्ठान बन गया था। इसलिए भक्त भगवान को प्रसन्न करने के लिए मोदक का भोग लगाते हैं।
गणेश चतुर्थी के दिन ना करें चंद्र दर्शन
मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन नहीं करना चाहिए, नहीं तो व्यक्ति के ऊपर बिना किसी वजह से व्यक्ति पर कोई झूठा आरोप लगता है। पुराणों के अनुसार एक बार भगवान कृष्ण ने भी गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन किया था, जिसकी वजह से उन्हें भी मिथ्या का शिकार होना पड़ा था। गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन को लेकर एक और पौराणिक मत है जिसके अनुसार इस चतुर्थी के दिन ही भगवान गणेश ने चंद्रमा को श्राप दिया था। इस वजह से ही चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन को निषेध माना गया।
पूजन का शुभ मुहूर्त
दोपहर 11 बजकर 02 मिनट से लेकर 01 बजकर 32 मिनट तक
व्रत और पूजन विधि
- सुबह स्नान करने के बाद सोने, तांबे, मिट्टी की गणेश प्रतिमा लें।
- चौकी में लाल आसन के ऊपर भगवान को विराजमान करें।
- भगवान को सिंदूर व दूर्वा अर्पित करके 21 लड्डुओं का भोग लगाएं।
- इनमें से 5 लड्डू भगवान को अर्पित करके शेष गरीबों में बांट दें।
- शाम के समय गणेश जी का पूजन करना चाहिए।
- गणेश चतुर्थी की कथा, गणेश चालीसा व आरती पढ़ने के बाद चंद्रमा को देखे बिना ही अर्घ्य देना चाहिए।
- आज के दिन भगवान के सिद्धिविनायक रूप की पूजा व व्रत किया जाता है।
- तुलसी के पत्ते गणेश पूजा में इस्तेमाल नहीं हों। तुलसी को छोड़कर बाकी सब पत्र-पुष्प गणेश जी को प्रिय हैं।
- भगवान के पूजन में गणेश जी की एक परिक्रमा करने का विधान है।