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फ्रांस : गेब्रियल अट्टल बने फ्रांस के सबसे युवा और पहले “गे” प्रधानमंत्री,राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने किया नियुक्त

पेरिस। फ्रांस ने मंगलवार को नया इतिहास रच दिया। देश के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने गेब्रियल अट्टल को फ्रांस का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया है। इससे पहले वे सरकार के प्रवक्ता के साथ शिक्षा मंत्री का पद संभाल रहे थे। गेब्रियल फ्रांस के आज तक के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने हैं। उनकी उम्र महज 34 साल है, लेकिन इससे भी बड़ी यह बात है कि वे फ्रांस के पहले गे (समलैंगिक) प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने अपने समलैंगिक होने की बात न छिपाते हुए खुद को सार्वजनिक तौर पर समलैंगिक घोषित कर रखा है। अट्टल की नियुक्ति की जानकारी राष्ट्रपति कार्यालय ने दी है।

अब संभालेंगे प्रधानमंत्री का अहम पद

अट्टल के गे होने के बारे में 2018 में उनके एक पुराने स्कूल सहयोगी ने जानकारी उस वक्त सार्वजिनक कर दी थी, जब उन्हें मैक्रों सरकार में जूनियर मंत्री बनाय गया था। उस समय अट्टल,मैक्रों के पूर्व राजनीतिक सलाहकार स्टीफन सेजॉर्न के साथ रिलेशनशिप में थे। नवनियुक्त पीएम अट्टल को प्रेसिडेंट मैक्रों ने कोरोना महामारी के दौरान सरकारी प्रवक्ता का पद दिया और फिर वे प्रधानमंत्री एलिजाबेथ बोर्ने के अंडर में एजुकेशन मिनिस्टर बनाए गए। देश में हालिया ओपिनियन पोल्स में उन्हें फ्रांस के सबसे फेमस पॉलिटिशियनमें से एक माना गया है।

 राजनीतिक तनातनी के बीच एलिजाबेथ का इस्तीफा

राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने इस साल होने वाले संसदीय चुनाव से पहले ये बड़ा फेरबदल किया है। मैक्रों के एक बार फिर राष्ट्रपति बनने के बाद मई 2022 में एलिजाबेथ को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया था। वह लगभग दो साल तक इस पद पर रहीं। वह इस पद पर पहुंचने वाली फ्रांस की दूसरी महिला थीं। हालांकि इमिग्रेशन के मुद्दे पर उनके फैसलों के चलते राजनीतिक तनाव बढ़ने के कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। एलिजाबेथ ने सोमवार को अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को सौंप दिया था। इसके बाद मैक्रों ने अट्टल को पीएम पद की जिम्मेदारी सौंप दी।

अट्टल के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण होगा पीएम का पद

अट्टल के शिक्षा मंत्री बनने के बाद उन्होंने स्कूलों में मुस्लिम पोशाक पर बैन लगा दिया था। इसके बाद  वामपंथी होने के बावजूद रूढ़िवादी मतदाताओं के बीच उनकी लोकप्रियता बढ़ी। उनके इस फैसले ने जमकर सुर्खियां बटोरी थीं। अब एक प्रधानमंत्री के तौर पर अट्टल के सामने पहली चुनौती फ्रांस में अवैध प्रवासियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की होगी।

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