
उदयपुर। पूर्व केंद्रीय मंत्री, वरिष्ठ कांग्रेस नेत्री और राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष डॉ. गिरिजा व्यास का गुरुवार को निधन हो गया। वे 90 प्रतिशत तक झुलस गई थीं और पिछले एक महीने से अहमदाबाद के जायडस अस्पताल में भर्ती थीं। गुरुवार को उन्होंने वहीं अंतिम सांस ली।
गणगौर पूजा के दौरान झुलसी थीं
31 मार्च को डॉ. गिरिजा व्यास उदयपुर स्थित अपने आवास देत्यमगरी में गणगौर पूजा कर रही थीं। इस दौरान दीपक के कारण उनकी चुन्नी में आग लग गई। घर में मौजूद एक कर्मचारी ने तत्काल उन्हें बचाने का प्रयास किया और उन्हें पास के निजी अस्पताल ले जाया गया। उनकी हालत गंभीर होने के चलते उदयपुर से अहमदाबाद रेफर किया गया, जहां वे पिछले एक महीने से जिंदगी और मौत से जूझ रही थीं।
उदयपुर लाया जा रहा शव
परिवार के लोग उनका शव अहमदाबाद से लेकर उदयपुर रवाना हो चुके हैं। उदयपुर में उनके अंतिम दर्शन और अंतिम संस्कार का समय तय किया जा रहा है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर राजस्थान के स्थानीय नेताओं तक ने गहरा शोक जताया है और उन्हें महिला सशक्तिकरण की सशक्त आवाज बताया है।
राजनीति में पांच दशकों तक रहीं सक्रिय
डॉ. गिरिजा व्यास का राजनीतिक करियर बहुत लंबा और प्रभावशाली रहा। वो 1977 से 1984 तक उदयपुर की जिला कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष रहीं। इसके बाद 1985 से 1990 तक राजस्थान विधानसभा की सदस्य रहीं। 1986 से 1990 तक राजस्थान सरकार में पर्यटन राज्य मंत्री का कार्यभार संभाला। 1990 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) की सदस्य बनीं। 1991 में पहली बार लोकसभा सांसद बनीं और केंद्र सरकार में सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री रहीं। 1993 में अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष बनीं। 1996 और 1999 में क्रमशः 11वीं और 13वीं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुईं। 2005 से 2011 तक वो दो बार राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रहीं।
महिला कल्याण के लिए किए अहम काम
डॉ. गिरिजा व्यास ने महिला अधिकारों और कल्याण के लिए कई ठोस कदम उठाए। राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने घरेलू हिंसा, महिला शोषण और लैंगिक असमानता के खिलाफ कई मुहिम चलाईं। उनके नेतृत्व में महिला आयोग ने कई अहम रिपोर्ट्स और सिफारिशें सरकार को सौंपीं।
2018 में लड़ा अंतिम विधानसभा चुनाव
डॉ. व्यास ने 2018 में उदयपुर शहर विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन बीजेपी के वरिष्ठ नेता गुलाबचंद कटारिया से हार गईं। इसके बाद वे सक्रिय राजनीति से लगभग दूर हो गई थीं, लेकिन पार्टी के कार्यक्रमों और सामाजिक मुद्दों पर उनकी सक्रियता बनी रही।
राजसमंद के नाथद्वारा में जन्मीं डॉ. गिरिजा व्यास के पिता स्वतंत्रता सेनानी थे और मां शिक्षिका। उन्होंने उदयपुर यूनिवर्सिटी (अब मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय) से स्नातक और परास्नातक शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पीएचडी की उपाधि ली और उदयपुर के दर्शनशास्त्र विभाग में प्रोफेसर के रूप में कार्य किया।
साहित्य से भी था गहरा नाता
डॉ. गिरिजा व्यास केवल राजनेता ही नहीं, बल्कि एक संवेदनशील कवयित्री और लेखिका भी थीं। उन्होंने कई कविताएं और लेख लिखे। वे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की पत्रिका कांग्रेस संदेश की मुख्य संपादक भी रहीं।
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