
भोपाल। मध्य प्रदेश परिवहन विभाग के करोड़पति पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा समेत उसके साथियों चेतन सिंह और शरत जायसवाल को जमानत मिल गई है। लोकायुक्त ने 60 दिन में चालान पेश नहीं किया इसलिए आरोपियों को यह राहत मिली है। लोकायुक्त के इस रवैये पर कोर्ट ने हैरानी भी जताई है। वहीं मंगलवार को लोकायुक्त के विशेष न्यायाधीश राम प्रताप मिश्र ने यह आदेश दिए हैं।
हालांकि, आयकर विभाग (IT) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) में दर्ज मामलों के कारण तीनों आरोपी अभी जेल में ही रहेंगे।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पेशी
दरअसल, लोकायुक्त ने सौरभ शर्मा उसके दो साथी शरद जायसवाल और चेतन सिंह गौर को को 55 किलो सोना और 10 करोड़ रुपए कैश बरामदगी के मामले में हिरासत में लिया था। पूछताछ के बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया गया, जहां उन्हें न्यायिक रिमांड पर भेज दिया गया था।
वहीं शनिवार को भोपाल की सेंट्रल जेल में बंद तीनों आरोपियों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जिला न्यायालय में पेशी हुई थी। कोर्ट ने 11 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत बढ़ाने के आदेश दिए थे।
गिरफ्तारी ऐसे हुई थी
बता दें कि 28 जनवरी को सौरभ शर्मा कोर्ट में सरेंडर करने पहुंचा था। लेकिन कोर्ट ने जांच एजेंसी से केस डायरी मंगवाई और अगले दिन आने को कहा। अगली सुबह 11 बजे जब सौरभ कोर्ट जा रहा था। हालांकि लोकायुक्त ने उसे बाहर से ही गिरफ्तार कर लिया। लोकायुक्त ऑफिस में 5 घंटे की पूछताछ के बाद उसके साथी चेतन गौर को भी हिरासत में लिया गया।
लावारिस मिली थी सोने से लदी कार
राजधानी भोपाल में 19 दिसंबर को एक लावारिस गाड़ी से भारी मात्रा में सोना और नकदी बरामद होने से हड़कंप मच गया था। मेंडोरी गांव के कुछ स्थानीय निवासियों ने पुलिस को खाली प्लॉट में खड़ी एक लावारिस क्रिस्टा गाड़ी के बारे में जानकारी दी। गाड़ी में 6 से 7 बैग रखे हुए थे, जिन्हें खोलने पर आयकर विभाग (IT) को सूचना दी गई। IT टीम ने कार्रवाई करते हुए गाड़ी का कांच तोड़ा और बैगों को बाहर निकाला। इन बैगों में 52 किलो सोना और 10 करोड़ रुपए नकद मिले।
27 दिसंबर को ईडी ने सौरभ शर्मा और उसके सहयोगी चेतन सिंह गौर, शरद जायसवाल, रोहित तिवारी के ठिकानों पर छापे मारे थे। सौरभ के परिजन और दोस्तों के खातों में 4 करोड़ रुपए का बैंक बैलेंस मिला। इसके अलावा 23 करोड़ की संपत्ति भी जांच के दायरे में ED ने ली थी। भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर में की गई जांच में 6 करोड़ रुपए की FD की जानकारी भी ईडी के हाथ लगी है। फर्मों और कंपनियों के जरिए किए गए निवेश का खुलासा हुआ है।