
आगामी विधानसभा चुनाव से पहले मध्य प्रदेश कांग्रेस को एक बड़ा झटका लगा है। पूर्व सीएम कमलनाथ के करीबी खुरई के पूर्व विधायक और कांग्रेस नेता अरुणोदय चौबे ने कांग्रेस पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। अरूणोदय चौबे ने अपना इस्तीफा पीसीसी चीफ कमलनाथ को भेजा है। इधर, उनके भाजपा में आने की अटकलें चलने लगीं।
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— Peoples Samachar (@psamachar1) September 16, 2022
कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ हुए बर्ताव से बताया दुखी
सागर जिले की खुरई विधानसभा से विधायक रहे अरुणोदय चौबे प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष, टीकमगढ़ के जिला प्रभारी व प्रदेश कांग्रेस के सदस्य थे। उन्होंने कमलनाथ को भेजे इस्तीफा में चौबे ने उल्लेख किया है कि मैं 30 साल से निरंतर कांग्रेस पार्टी के सेवा कर रहा हूं, परंतु हाल ही में हमारे खुरई विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ जो बर्ताव हुआ है, उससे मैं व खुरई विधानसभा क्षेत्र के सभी कार्यकर्ता दुखी हैं। अत: मैं प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष, प्रभारी जिला टीकमगढ़ व प्रदेश कांग्रेस सदस्य के पद से इस्तीफा दे रहा हूं।
लंबे समय से भाजपा में जाने की चर्चा
इधर, खुरई के पूर्व विधायक अरुणोदय चौबे के लंबे समय से भाजपा में शामिल होने की चर्चाएं चलती रही हैं। राजनीतिक गलियारों में ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि वे इसी साल 20 मई को नगरीय विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह के जन्मदिन पर भाजपा में शामिल होंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बता दें कि वर्तमान में खुरई में नगर पालिका के चुनाव चल रहे हैं। इस बीच चौबे के इस्तीफा देने से पीएम नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के दिन पर उनके बीजेपी में शामिल होने की चर्चा होने लगी हैं।
मंत्री भूपेंद्र सिंह और अरुणोदय चौबे एक-दूसरे के प्रतिद्वंद्वी रहे
दरअसल, अरुणोदय चौबे और मंत्री भूपेंद्र सिंह एक-दूसरे के प्रतिद्वंद्वी रहे हैं। साल 2007 में खुरई विधानसभा के चुनाव में अरुणोदय चौबे ने भूपेंद्र सिंह को हरा दिया था। इसके बाद चौबे साल 2013 व 2018 में मंत्री भूपेंद्र सिंह से विधानसभा चुनाव हार गए थे।
अरुणोदय चौबे पर दर्ज हुआ था मामला
साल 2013 के चुनाव में ही 28 दिसंबर 2013 को खुरई के विनायठा गांव में हुई भैयालाल दांगी की हत्या के मामले में पूर्व विधायक चौबे सहित 11 लोगों पर धारा 302 व अन्य धाराओं से मामला दर्ज हुआ था। बाद में इस मामले में सभी लोग बरी हो गए। लेकिन, कुछ समय पहले सेल्फी प्वाइंट तोड़ने के मामले को लेकर हुए विवाद में चौबे पर धारा 307 के तहत प्रकरण दर्ज हुआ था। जिसमें वह फरार चल रहे थे। इस मामले की बाद से ही वे कांग्रेस पार्टी से खफा थे।