
भोपाल। देश का नाम भारत लिखने को लेकर चल रही बहस और सवालों के बीच मध्यप्रदेश के सेवानिवृत्त आईएएस मनोज श्रीवास्तव और हिंदू विचारक अनिल चावला के बीच भी सोशल मीडिया पर तल्खीपूर्ण बहस हो गई। चावला ने तर्क दिया कि हमारे देश का प्राचीन नाम भारतवर्ष है। भारत का शाब्दिक अर्थ तो ज्ञान के आलोक में रत अर्थात डूबा है। इस बात पर श्रीवास्तव ने तल्खी के साथ अपनी प्रतिक्रिया में लिखा कि ”कौन सी पिनक में लिखते हैं ये सज्जन। कभी इन्होंने कोई पुराण पढ़ने की जहमत उठाई?
चावला ने अपने मित्र वरिष्ठ पत्रकार अरुण दीक्षित की फेसबुक वाल पर यह टिप्पणी लिखी थी। उस पर श्रीवास्तव के अलावा सुदेश वाघमरे, प्रीति उपाध्याय और विजय कुमार तिवारी सहित अन्य कई मित्रों की प्रतिक्रियाएं सामने आईं। पूर्व आईएएस श्रीवास्तव की तल्खी पर चावला ने पलटवार करते हुए लिख दिया कि पिनक लिखने वाले की नहीं बल्कि आप जैसे पढ़ने वाले की है।
नोटशीट पर बकवास!
नाराजगी में चावला ने यहां तक लिख दिया कि अब आप अफसर नहीं हैं जो नोटशीट पर जैसे चाहें बकवास लिख देंगे। इस बौद्धिक बहस में कुंठा और ओछी सोच जैसे कटु शब्दों का भी प्रयोग कर लिया गया।
पुराणों का किया जिक्र
श्रीवास्तव ने भारत का नाम क्यों है, इसकी कहानियां और पुराणों के श्लोक भी उद्धृत कर दिए। उन्होंने स्कंद पुराण, वायु पुराण, ब्रह्मांड पुराण, अग्नि पुराण और मार्कंडेय पुराण का उदाहरण दिया।