
नई दिल्ली। भारत के 16वें मुख्य चुनाव आयुक्त नवीन चावला का 79 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने अपोलो अस्पताल में अंतिम सांस ली। चुनाव आयोग ने श्रद्धांजलि अर्पित कर उनके योगदान को याद किया। वे 2005 से 2009 तक चुनाव आयुक्त रहे और फिर अप्रैल 2009 से जुलाई 2010 तक मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में कार्य किया। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान चुनाव आयोग में कई सुधारों का नेतृत्व किया। हालांकि, पक्षपात के आरोपों की वजह से उनका कार्यकाल विवादों में भी घिरा रहा।
ट्रांसजेंडर्स के लिए लाए ‘अन्य’ का विकल्प
नवीन चावला के कार्यकाल के दौरान चुनावों में कई महत्वपूर्ण सुधार किए गए। उन्होंने ट्रांसजेंडर मतदाताओं के लिए ‘अन्य’ का विकल्प दिया, जिससे पहले की तरह उन्हें पुरुष या महिला के रूप में वोट देने की बाध्यता नहीं रही। इसके अलावा वे मदर टैरेसा से बहुत प्रेरित थे। उन्होंने मदर टैरेसा की जिंदगी और कार्यों पर एक आधिकारिक जीवनी भी लिखी थी।
चावला के नेतृत्व में 2009 में लोकसभा चुनाव और सात राज्यों के विधानसभा चुनाव सफलतापूर्वक आयोजित किए गए। उन्होंने चुनाव आयोग में सुधारों की वकालत की, जैसे चुनाव आयुक्तों को हटाने के लिए संवैधानिक सुधार लाना और तीसरे लिंग के मतदाताओं के लिए मतदान विकल्प में बदलाव करना।
नवीन चावला के बारे में जानें
जन्म और शिक्षा: नवीन चावला का जन्म 30 जुलाई 1945 को हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा सनावर के लॉरेंस स्कूल से की और उच्च शिक्षा सेंट स्टीफंस कॉलेज से प्राप्त की।
सिविल सेवा में करियर: चावला को सिविल सेवा के दौरान कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां मिलीं। वे ज्यादातर दिल्ली में तैनात रहे, लेकिन कुछ समय के लिए अन्य केंद्र शासित प्रदेशों में भी सेवा दी।
केंद्रीय सचिव: निर्वाचन आयुक्त बनने से पहले, चावला केंद्रीय सचिव थे और 2009 का लोकसभा चुनाव उनकी निगरानी में हुआ।
मदर टेरेसा की जीवनी: चावला को मदर टेरेसा की जीवनी के लेखक के रूप में भी जाना जाता है। उनकी किताब ‘मदर टेरेसा’ 1992 में ब्रिटेन में प्रकाशित हुई, जो कई संस्करणों और अनुवादों के साथ उपलब्ध है।
चावला का कैडर: नवीन चावला भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1969 बैच के अधिकारी थे, जो अरुणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश (एजीएमयूटी) कैडर से जुड़े थे।
कार्यकाल: वे 2005 से 2009 तक निर्वाचन आयुक्त रहे और फिर अप्रैल 2009 से जुलाई 2010 तक मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) बने।
पक्षपाती होने के आरोप: चावला पर भाजपा ने पक्षपाती होने का आरोप लगाया था। 2009 में विपक्षी पार्टी ने उनकी कार्यप्रणाली को लेकर शिकायत की थी।
एन गोपालस्वामी की सिफारिश: मुख्य निर्वाचन आयुक्त एन गोपालस्वामी ने 2009 में चावला को हटाने की सिफारिश की थी, जो भाजपा की याचिका पर आधारित थी। हालांकि, सरकार ने इस सिफारिश पर कोई कार्रवाई नहीं की।
आडवाणी और याचिका: लालकृष्ण आडवाणी और 204 सांसदों ने 2006 में राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को चावला को हटाने की याचिका दी थी। भाजपा ने इस मामले में उच्चतम न्यायालय का भी रुख किया था।
संविधानिक सुधारों की वकालत: चावला ने निर्वाचन आयुक्तों को हटाने की प्रक्रिया को सीईसी के समान बनाने के लिए संवैधानिक सुधारों की वकालत की थी।