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देश में पहली बार भोपाल सहित मप्र के जिलों में हुए स्वाधीनता संग्राम का इतिहास किया संकलित

स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सीएम डॉ. मोहन यादव करेंगे 17 जिलों पर लिखीं पुस्तकों का विमोचन

अनुज मीणा। मप्र का शायद ही ऐसा कोई क्षेत्र हो, जहां के निवासियों ने अंग्रेजी शासन के विरुद्ध आवाज न उठाई हो और स्वाधीनता संग्राम की गतिविधियां न हुई हों। कहीं लोगों ने अंग्रेजों से सीधा मुकाबला किया तो कहीं पर छोटे-बड़े आंदोलन हुए। इन आंदोलनों में हिस्सा लेने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों पर स्वराज संस्थान संचालनालय पुस्तकें तैयार करवा रहा है। इन पुस्तकों के जरिए विभिन्न जिलों में आजादी के लिए हुए संघर्ष और उनमें हिस्सा लेने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के आजादी के लिए योगदान के बारे में जान सकेंगे। देश में यह पहली बार है कि जिलेवार स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों पर किसी प्रदेश में पुस्तकें तैयार की जा रही हैं। स्वराज संस्थान द्वारा प्रदेश के सभी जिलों की पुस्तकें तैयार करवाई जा रही हैं। 15 अगस्त को सीएम डॉ. मोहन यादव रवींद्र भवन में 15 जिलों की पुस्तकों का विमोचन करेंगे।

15 पुस्तकों का आज होगा विमोचन

15 अगस्त को भिंड, बड़वानी, हरदा, कटनी, टीकमगढ़ निवाड़ी, नरसिंहपुर, राजगढ़, इंदौर, शाजापुर-आगर मालवा, विदिशा, धार, बैतूल, गुना- अशोकनगर, दमोह की पुस्तकों का विमोचन होगा। पूर्व में भोपाल, दतिया, उज्जैन, मंडलाडिंडौरी, खरगोन, छिंदवाड़ा, खंडवा-बुरहानपुर, रतलाम, शहडोल-उमरिया-अनूपपुर, जबलपुर, नीमच, सतना, सागर, मंदसौर और रीवा जिले पर बुक्स रिलीज हो चुकी हैं।

सिपाही बहादुर सरकार ने लिया अंग्रेजों से लोहा

भोपाल जिले का इतिहास डॉ. आलोक गुप्ता ने लिखा है। उनके शोध में सीहोर में बनी सिपाही बहादुर सरकार के गठन में वलीशाह (रिसालदार) और महावीर कोठ (हवलदार) की स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका सामने आई है। उन्होंने तत्कालीन नवाब सिकंदर जहां बेगम की अंग्रेज सरकार से निकटता के खिलाफ जाते हुए उनकी सेना के सिपाहियों और अफसरों ने समानांतर सरकार बना ली थी, जो 1857 की क्रांति में अंग्रेजों से युद्ध लड़ी थी। सिपाही बहादुर सरकार ने भोपाल, सीहोर, रायसेन, राहतगढ़ और अंबापानी तक जाकर अंग्रेजों से लोहा लिया था। इस पुस्तक में स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने वाले लगभग 400 सेनानियों के नाम शामिल हैं, इनमें अधिकतर वो नाम शामिल हैं, जिन्हें लोग जानते भी नहीं है। इनमें बोरास गोलीकांड के चार वीर युवकों छोटेराम, धनासिंह, मंगल सिंह और विशाल सिंह का नाम पुस्तक में शामिल हैं। वहीं, मा. लालसिंह, डॉ. जमना प्रसाद मुखरैया, पं. उद्धवदास मेहता, नन्हेंलाल गांधी के नाम भी शामिल हैं।

पुस्तकें तैयार करने के लिए बनाई थी कमेटी

प्रदेश के सभी जिलों के स्वतंत्रता सेनानियों पर किताबें तैयार करने के लिए कमेटी तैयार की गई थी, इसमें हर जिले के लिए एक व्यक्ति को चुना गया, जो उस जिले के स्वतंत्रता सेनानी की जानकारी प्राप्त कर उस पर किताब तैयार कर रहे हैं। इसमें स्वतंत्रता सेनानी के स्थानीय व्यवहार, समाज के प्रति नेतृत्व, उनकी मांगें क्या थीं, कौन-कौन लोग इसमें सामने आए, स्थानीय स्तर पर क्या कारण थे, किस वजह से स्वतंत्रता सेनानी क्रांति करने के लिए प्रेरित हुए, जैसी जानकारी शामिल की जा रही है। यह पुस्तकें स्वराज संस्थान व शौर्य स्मारक में उपलब्ध रहेंगी।

अलग-अलग जिले मिलाकर बनेगी 41 किताबें

शोध कार्य पूरा करने के बाद किताबें लिखी जा चुकी हैं। 41 में से 30 पुस्तकें तैयार हो चुकी हैं। मैं खुद अपनी देखरेख में इस प्रोजेक्ट को पूरा करवा रहा हूं। शोध के आधार पर प्रत्येक जिले की 200 से 500 पन्नों की अलग-अलग पुस्तकों का प्रकाशन किया जा रहा है। कुछ छोटे और नए जिलों की किताबें दो जिलों को मिलाकर लिखी गई हैं। इस प्रकार प्रदेश के अलग-अलग जिलों को मिलाकर 41 किताबें तैयार की जा रही हैं। भोपाल जिले पर लिखी किताब में 16 चैप्टर हैं और 356 पन्नों में इतिहास को संजोया गया है। – प्रो. संतोष कुमार वर्मा, उप-संचालक, स्वराज संस्थान संचालनालय

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