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कम पानी वाली कपास की पहली जैविक किस्में तैयार

आशीष शर्मा ग्वालियर। प्रदेश के किसानों के लिए अच्छी खबर है कि अब कपास की जैविक खेती कर सकेंगे। फसल को बीमारियों से बचाने के लिए कीटनाशकों पर खर्च नहीं करना पड़ेगा साथ ही बार- बार पानी भी नहीं देना पड़ेगा। प्रति हेक्टेयर 8.45 क्विंटल उपज होगी। फसल 150 से 155 दिन में तैयार हो जाएगी।

भगवंतराव मंडलोई कृषि महाविद्यालय खंडवा के कृषि वैज्ञानिक डॉ. डीके श्रीवास्तव ने कपास की दो जैविक खेती वाली किस्में आरवीजेकेएस जीएफ-1 और आरवीजेकेएस जीएफ-2 तैयार की हैं। कपास की इन दोनों किस्मों की टेस्टिंग एमपी के अलावा उड़ीसी, गुजरात और महाराष्ट्र में वर्ष 2016-17 से 21-22 तक की गई। एसजीएफ-1 की बात करें तो यह प्रति हेक्टेयर 8.43 क्विंटल उपज देगी। इसके रेशों की लंबाई 28.7 मिमी. है। इसके कारण बाजार में इसकी अच्छी कीमत मिलेगी। रेशे अधिक ताकतवर (27.2 ग्राम/टेक्स) है। इससे पतले से पतला धागा तैयार किया जा सकता है। अभी तक कपास की जितनी वैरायटी आई हैं, उनमें 24 से 25 ग्राम/टेक्स था। कपास की यह दोनों वैरायटियां रोगों के प्रति सहनशील हैं।

आरवीजेके-एसजीएफ-2 किस्म की खासियत: प्रति हेक्टेयर 8.7 क्विटंल उत्पादन, रेशों की लंबाई 29.8, रेशों की ताकत 29.9 ग्राम/टेक्स, कम पानी में भी अच्छा उत्पादन देती है, कीट प्रतिरोधी है।

मिलेगी ज्यादा कीमत

देश में अभी कपास की जैविक किस्में तैयार नहीं हुई हैं। आरवीजेकेएस जीएफ-1 और आरवीजेकेएस जीएफ-2 पहली किस्में हैं। इन किस्मों की खासियत यह है कि यह कम पानी में तैयार हो जाती है और इसके रेशों की लंबाई व ताकत अधिक होने पर बाजार में अच्छी कीमत मिलती है। – डॉ. डीके श्रीवास्तव, कृषि वैज्ञानिक, कृषि विवि ग्वालियर

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