
नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के सुपर स्पेशलिटी के न्यूरो सर्जरी विभाग में प्रदेश की पहली ब्रेन बाईपास सर्जरी की गई। ग्वालियर की 35 वर्षीय महिला के पैर से खून की नस को निकाल कर गर्दन की बड़ी खून की नस से जोड़ते हुए ब्रेन के खून की नस से जोड़ कर ब्लड संचार का नया रास्ता बनाया गया। महिला की हालत अब ठीक बताई जा रही है।
क्यों किया गया ऐसा ऑपरेशन?
गौरतलब है कि ग्वालियर निवासी 36 वर्षीय महिला को सिर दर्द और ब्रेन हेमरज होने पर वहां के चिकित्सकों ने सीटी स्कैन कराया था। इससे पता चला कि ब्रेन की बायीं ओर की मुख्य नस (इंटर्नल करोटिड धमनी) में एक बड़ा गुब्बारा जिसे जाइयंट ऐन्यरिजम कहते है, बन गया है। इसके फटने से मरीज को ब्रेन हेमरज के कारण जान को खतरा था। महिला के रिश्तेदार जबलपुर में रहते हैं। सुपर स्पेशलिटी में दिखाने के लिए महिला को बुलाया।
ऐसे हुआ जटिल ऑपरेशन
यहां सुपर स्पेशलिटी विभाग में न्यूरो सर्जरी विभाग में महिला के ब्रेन की एंजियोग्राफी की गई। इससे उसकी बीमारी की जानकारी हुई।
इस ऑपरेशन में सामान्यत: हार्ट बाइपास में इस्तेमाल की जाने वाली पैर की खून की शिरा (ग्रेट सेफनस वेन) को वैस्क्युलर सर्जन की मदद से निकाला गया। फिर इसे न्यूरो सर्जरी टीम ने गर्दन की बायीं तरफ की बड़ी खून की नस (इक्स्टर्नल करोटिड धमनी) से लेकर ब्रेन की नस (मिडल सेरब्रल धमनी) से काफी बारीक टांकों से एडवांस माइक्रोस्कोप की मदद से ग्राफ्ट किया गया।
इस तरह के ऑपरेशन हाइअर इंस्टीट्यूट जैसे दिल्ली एम्स आदि में ही होते हैं। एमपी में संभवत: यह पहला ऑपरेशन है, जिसे आयुष्मान योजना के तहत नि:शुल्क किया गया है।
वायआर यादव, न्यूरोसर्जन, मेडिकल अस्पताल