
भोपाल (अमिताभ बुधौलिया)। ‘फिल्म मेरी धर्मपत्नी है!’ अगर कोई अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर ऐसा लिख रहा है, तो आकलन किया जा सकता है कि सिनेमा उसके अंदर कितनी पैठ किए हुए है। राहुल तिवारी; सिनेमा और टीवी के ऐसे चर्चित संपादक हैं, जिनकी ‘कैंची’ यानी संपादकीय हुनर फिल्म में कसावट ले आता है। कमियों-खामियों को दूर करके फिल्म को बेहतर बना देता है। राहुल तिवारी अपनी एक वेब सीरिज के लिए लोकेशन और शूटिंग की अन्य संभावनाएं तलाशने भोपाल में थे। इस दौरान उन्होंने ‘पीपुल्स मॉल’ और पीपुल्स ग्रुप की फिल्म डिविजन-‘आन्या सिने एंड मीडिया वेंचर्स प्रालि.’ का अवलोकन भी किया। इस दौरान उन्होंने peoplesupdate.com से फिल्म संपादन और भोपाल में शूटिंग की संभावनाओं पर चर्चा की। सुनिए Exclusive Interview…
फिल्म में संपादक का बहुत बड़ा रोल होता है
राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजी जा चुकी ‘दादा लखमी’ जैसी फिल्मों का संपादन कर चुके राहुल तिवारी फिल्म संपादक के रोल को बहुत महत्वपूर्ण मानते हैं। उन्होंने कहा कि एक संपादक जरूरत के हिसाब से दृश्य आगे-पीछे कर सकता है, गैर जरूरी दृश्यों को फिल्म से निकाल भी सकता है। अगर डायरेक्टर फिल्म की मां है, तो संपादक मौसी।
ठग्स ऑफ हिंदुस्तान…सबसे खराब संपादन का उदाहरण
करीब 26 छोटी-बड़ी फिल्में संपादित कर चुके राहुल तिवारी 1999 से फिल्म इंडस्ट्री में हैं। वे बताते हैं कि ‘ठग्स ऑफ हिंदुस्तान’ खराब संपादन का बड़ा उदाहरण है। “इस फिल्म को मैंने री-एडिट किया था। अगर यह फिल्म पहले ही ठीक से संपादित हो जाती, तो संभावना थी कि ये 25 प्रतिशत और बेहतर बन जाती।”
फिल्म संपादक बनने के टिप्स
मूलत: यूपी के रहने वाले राहुल तिवारी ने केंद्रीय विद्यालय, इलाहाबाद से 12वीं क्लास पास की और फिर पूर्वांचल यूनिवर्सिटी से दर्शनशास्त्र (philosophy) विषय में ग्रेजुएशन किया। ये 12वीं कक्षा तक थिएटर से जुड़े रहे। राहुल फिल्म संपादन में अपना करियर बनाने के इच्छुक युवाओं को सलाह देते हैं कि सबसे पहले वे अपनी पढ़ाई अच्छे से करें। सिनेमा बहुत ही संजीदा और सीरियस जॉब है, इसलिए इसमें तभी आएं, जब रुचि हो।
फिल्म संपादन एक बच्चे की परवरिश की तरह है
सीरियल-भाग्य विधाता (2010) में निगेटिव किरदार के जरिये एक्टिंग में भी अपनी कला का जलवा बिखेर चुके राहुल 7 फिल्में भी निर्देशित कर चुके हैं। इनमें उनकी चर्चित शॉर्ट मूवी ‘द्रोणाचार्य’ भी है। इसमें ‘नदिया के पार’ फेम साधना सिंह थीं। राहुल कहते हैं-“फिल्म संपादन एक धैर्य का काम है। यह एक बच्चे की परवरिश की तरह है।”
भोपाल के पीपुल्स मॉल में फिल्म शूटिंग
भोपाल के पीपुल्स मॉल स्थित 7 अजूबे (7 wonders) देखकर राहुल तिवारी बहुत प्रफुल्लित और उत्साहित दिखे। उन्होंने कहा कि ऐसी लोकेशन तो उन्होंने पहली बार देखी है। ये जगहें माता-पिता को अपने बच्चों को जरूर दिखानी चाहिए।
राहुल तिवारी का पूरा वीडियो इंटरव्यू देखने के लिए आप हमारे Official youtube channel पर जाएं…
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