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गुना में खाद वितरण व्यवस्था बदहाल, गर्मी में परेशान हुए किसान, टोकन के लिए घंटों इंतजार

गुना। खरीफ सीजन की तैयारी में जुटे जिलेभर के किसानों के लिए डीएपी खाद पाना एक कठिन चुनौती बन गई है। मंगलवार को जिले के विभिन्न खाद वितरण केंद्रों पर अव्यवस्था और भीषण गर्मी ने किसानों की परेशानी को कई गुना बढ़ा दिया। खासकर नानाखेड़ी डबल लॉक वितरण केंद्र पर हालात बेहद चिंताजनक रहे, जहां किसानों को टोकन के लिए सुबह 5 बजे से लाइन में खड़ा होना पड़ा।

रविवार से ही केंद्रों पर डटे किसान, फिर भी टोकन नहीं

कई किसान तो रविवार रात को ही वितरण केंद्र पर पहुंच गए थे ताकि सुबह जल्दी टोकन मिल सके, लेकिन प्रबंधन की लापरवाही ने उनके इरादों पर पानी फेर दिया। टोकन वितरण देरी से शुरू हुआ और कतारों में भारी अव्यवस्था देखी गई। धूप में घंटों खड़े किसानों के लिए ना छांव की व्यवस्था थी, ना ही पानी। पंखों तक का इंतजाम नहीं था, जिससे बुजुर्ग किसानों और महिलाओं को काफी परेशानी उठानी पड़ी।

प्रशासन की मौजूदगी में भी नहीं सुधरे हालात

स्थिति को काबू में लाने के लिए प्रशासन की टीम, जिसमें एसडीएम और तहसीलदार शामिल थे, मौके पर पहुंची। लेकिन भारी भीड़ और अव्यवस्था के बीच वे हालात सुधारने में विफल रहे। महिलाओं की भीड़ बढ़ने पर पहले उन्हें पुरुषों के साथ कतार में खड़ा किया गया, बाद में दो अलग कतारें बनाई गईं, जिससे और भ्रम की स्थिति बनी रही।

टोकन प्रणाली बनी परेशानी की जड़

किसानों का कहना था कि टोकन व्यवस्था को लेकर कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई थी और ना ही लाइन की बैरीकेडिंग की गई थी। इससे धक्का-मुक्की और विवाद जैसी स्थिति बनी रही। कई किसानों ने नाराजगी जताते हुए कहा कि अगर पहले से सही प्रबंधन होता, तो इतनी दिक्कतें नहीं होतीं।

भारी खाद स्टॉक, लेकिन वितरण में ढिलाई

प्रशासनिक जानकारी के मुताबिक, रविवार को 2,572 मीट्रिक टन डीएपी खाद जिले में पहुंचा था, जिसे सोमवार को केंद्रों पर भेजा गया। मंगलवार से वितरण की योजना बनाई गई थी, लेकिन प्रबंधन की ढिलाई और अपर्याप्त तैयारियों ने प्रक्रिया को अव्यवस्थित कर दिया।

यूरिया और एनपी की अनुपलब्धता ने बढ़ाई चिंता

किसानों की एक और बड़ी चिंता यह रही कि फिलहाल सिर्फ डीएपी खाद उपलब्ध है, जबकि यूरिया और एनपी खाद की आपूर्ति नहीं हो पाई है। इससे किसानों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है, क्योंकि बिना सभी जरूरी खादों के उनकी फसल की तैयारी अधूरी रह जाएगी।

क्या कहते हैं किसान

  • “हम रात से लाइन में लगे थे, लेकिन न तो टोकन मिला और न ही छांव। ये कैसी व्यवस्था है?” – रमेश पाटीदार, किसान
  • “महिलाओं को पुरुषों के साथ खड़ा कर दिया गया, फिर हटाकर दो लाइन बनाई। हमें समझ ही नहीं आया क्या करें।” – रेखा चौधरी, महिला किसान
  • “अगर प्रशासन समय रहते बैरीकेडिंग और पानी की व्यवस्था कर देता तो हम इस तरह नहीं भटकते।” – हरिओम अहिरवार, ग्रामीण

(इनपुट – राजकुमार रजक)

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