भोपालमध्य प्रदेश

MP News : किसानों को खाद में मिट्टी मिलाकर बेची, भारतीय किसान यूनियन ने राज्यपाल से की कार्रवाई की मांग, आंदोलन की दी चेतावनी

विजय एस गौर/तरुण यादव, भोपाल। मध्य प्रदेश में कृषि विभाग के जिलों में पदस्थ अधिकारियों की मिलीभगत और संदिग्ध भूमिका के चलते किसानों को ठगा और लूटा जा रहा है। प्रदेश में 400 करोड़ रुपए से ज्यादा की जैविक खाद बताकर स्वाइल कंडीशनर काली मिट्टी किसानों को बेची गई। भारतीय किसान यूनियन ने शनिवार को मध्य प्रदेश के राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा गया।

भारतीय किसान यूनियन के सदस्यों ने मांग कि प्रदेशभर में इस स्वाइल कंडीशनर काली मिट्टी बनाने और बेचने वाले गिरोह, उससे सांठगांठ करने वाले कृषि विभाग के अफसरों के खिलाफ व्यापक जांच करवाकर सख्त कार्रवाई की जाएं। किसानों से लूटे गए पैसे वापस करवाए जाएं। इनके खिलाफ प्रत्येक जिले में एफआईआर दर्ज करवाकर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएं।

टिकैत की अगुवाई में होगी किसान महापंचायत

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने आग्रह किया, किसानों के साथ हो रही धोखाधड़ी, लूट, ठगी और सरकार के नियमों का गलत फायदा उठाने के मामलों की त्वरित जांच करवाकर अगले 15 दिन में कठोर कार्रवाई करवाएं। अन्यथा भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) 24 फरवरी, 2023 को रीवा में होने वाले यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत की अगुवाई में किसान महापंचायत में इस मुद्दे पर विचार करके प्रदेशव्यापी आंदोलन शुरू कर दिया जाएगा।

ट्रक वालों को ही बनाया आरोपी

दरअसल, प्रदेशभर में स्वाइल कंडीशनर नाम से काली मिट्टी प्रति बोरी 1149 रुपए के भाव से किसानों को दो बोरी यूरिया लेने पर जबरन बेची गई। इस के खिलाफ कार्रवाई सिर्फ बैतूल जिले में हो सकी, जहां कलेक्टर के निर्देश पर कृषि विभाग के अफसरों ने मुलताई में एफआईआर तो करवाई, लेकिन उसमें सिर्फ स्वाइल कंडीशनर लाने वाले ट्रक वाले को ही आरोपी बनाया गया है। जबकि, काली मिट्टी की पैकिंग करने, स्वाइल कंडीशनर का झूठ फैलाने और सोसायटियों और प्राइवेट विक्रेताओं से मिलीभगत करके खाद बेचने वालों के साथ ही कृषि विभाग के अफसरों को बख्श दिया गया।

सस्पेंड लाइसेंस स्वत: बहाल हो जाते

गौरतलब है कि रबी और खरीफ सीजन के दौरान यूरिया सहित अन्य खादों की कृत्रिम किल्लत पैदा करके किसानों को डेढ़ से दो गुने दामों पर बेची जाती है। ऐसे में कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ कृषि विभाग कार्रवाई करके खाद विक्रय का लाइसेंस सस्पेंड कर देता हैं, लेकिन 15 दिन में एफआईआर दर्ज नहीं करवाने पर मप्र उर्वरक नियंत्रण अधिनियम-1985 के प्रावधानों के तहत सस्पेंड लाइसेंस स्वत: बहाल हो जाता है।

इसी नियम की आड़ में कृषि विभाग के अधिकारी अवैध लाभ अर्जित करते हैं और एफआईआर दर्ज नहीं करवाते। बाद में बिना एफआईआर दर्ज हुए ही इसी शिकायती आवेदन को कृषि विभाग के संबंधित अधिकारी एफआईआर बता देते हैं।

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