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खुले बाजार में अच्छे दाम मिलने से सरकार को कम गेहूं बेच रहे किसान

􀂄 कम पंजीयन के कारण 3 बार बढ़ाई गई तारीख 􀂄 पिछले साल 16.94 लाख रजिस्ट्रेशन हुए थे 􀂄 लेकिन 13 लाख लोगों ने ही सरकार को बेचा गेहूं

अशोक गौतम, भोपाल। गेहूं बेचने के लिए किसानों की सरकार पर (समर्थन मूल्य) निर्भरता धीरे-धीरे कम होती जा रही है। पिछले 3 वर्षों में 13 लाख किसानों ने अपना गेहूं खुले बाजार में बेचा है। इसके पीछे की बड़ी वजह है समर्थन मूल्य पर गेहूं के दाम बाजार दर से कम होना है। अच्छे भाव मिलने के किसान मंडियों में अनाज बेच देते हैं। कई क्षेत्रों में आईटीसी सहित अन्य आटा बनाने वाली कंपनियां किसानों के खेत से ही अनाज उठा लेती हैं।

इस साल समर्थन मूल्य 2,225 रु. प्रति क्विंटल है जिस पर 125 रुपए बोनस मिल रहा है। इसलिए सरकार को उम्मीद है कि यह संख्या बढ़ सकती है, क्योंकि गेहूं पर 125 रुपए बोनस की घोषणा की गई है। समर्थन मूल्य पर किसानों को गेहूं बेचने के लिए बार-बार पंजीयन का मौका दिया जा रहा है। जैसे कि पहले 29 फरवरी, इसके बाद 6 मार्च, फिर 10 मार्च और अब 16 मार्च अंतिम तारीख है। अब तक 15 लाख किसानों ने पंजीयन कराया है।

आदिवासी जिले में 20% से कम रजिस्ट्रेशन हुए

बड़वानी, बुरहानपुर सहित 9 आदिवासी जिलों में पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 20 फीसदी कम रजिस्ट्रेशन हुआ है। वहीं हरदा, भोपाल और नर्मदापुरम में 5 से 7 फीसदी किसानों ने ही रजिस्ट्रेशन कराया है। वहीं मुरैना, भिंड और अशोक नगर जिले में पिछले वर्ष की तुलना में 150 फीसदी से ज्यादा किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया है।

रजिस्ट्रेशन के बाद भी गेहूं नहीं बेचा: पिछले वर्ष 16.94 लाख किसानों ने गेहूं बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था। लेकिन, इसमें से 13 लाख किसानों ने ही गेहूं समर्थन मूल्य पर बेचा था। खास बात यह है कि बाजार में गेहूं के अच्छे दाम मिलने से किसान खुले बाजार में गेहूं देते हैं।

पिछले वर्ष बाजार मूल्य, समर्थन मूल्य से ज्यादा था। इसके चलते गेहूं बाजार में बेच दिया था। वहीं सरकार को गेहूं बेचते हैं तो पैसा देरी से मिलता है, बाजार में तुरंत पैसा मिल जाता है। – हरी राम मीना, किसान भोपाल

पंजीयन की आखिरी तारीख बढ़कर 16 मार्च तय की गई है। सरकार ने बोनस देने की भी घोषणा कर दी है, इससे किसानों का पंजीयन तुलना पिछले वर्ष जितनी हो जाएगा। – रवीन्द्र सिंह, आयुक्त, खाद्य, उपभोक्ता संरक्षण

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