भोपाल

आश्रय गृह की लड़कियों से शादी की इच्छा जता रहे परिवार

बुरे अतीत को नहीं बल्कि गुणों को तरजीह दे रहे युवक, पहले ब्याही गई बेटियों का व्यवहार बना मददगार

भोपाल (पल्लवी वाघेला )। निर्भया आश्रय गृह से ब्याही गई मोना दिव्यांग हैं। मोना इस मिथक को तोड़ना चाहती थीं कि दिव्यांग की शादी दिव्यांग व्यक्ति से ही हो सकती है। उसने अपने लिए आए करीब दो दर्जन रिश्तों में से अपने जीवनसाथी का खुद चयन किया। दो साल पहले मोना की शादी सामान्य युवक सिद्धार्थ से हुई और अब उनकी एक बेटी भी है। सिद्धार्थ ने कहा कि उसने मोना की दिव्यांगता की बजाए उसके गुणों को प्राथमिकता दी है और आज बेहद खुश है। बीते पांच सालों में भोपाल के तीन आश्रय गृह में रहने वाली 22 युवतियों की शादी हुई है। खास बात यह कि इनका परिवार न होने और कुछ मामलों में दुखद अतीत को जानने के बाद भी परिवार खुद आश्रय गृह की बेटियों को अपने घर की लक्ष्मी बनाने की इच्छा जता रहे हैं।

युवती की पसंद को प्राथमिकता

पश्चातवर्ती गृह की अधीक्षिका सुनैना महाजन ने बताया कि वर्तमान में यहां सभी लड़कियां जॉब कर रही हैं। ऐसे में रोज आने वाले अनेक कॉल को मना करना पड़ता है। वहीं, स्वधार गृह के मुताबिक, लड़कियों की शादी के लिए लड़के और परिवार की सोशल रिपोर्ट, पुलिस रिपोर्ट, हेल्थ रिपोर्ट की अच्छे से जांच कर तसल्ली के बाद वधु की लिखित सहमति से रिश्ता तय होता है।

बीते सालों में शादी होकर जाने वाली लड़कियों में रेप विक्टिम भी शामिल हैं और ससुराल पक्ष को पहले ही इसकी जानकारी थी। अच्छी बात यह है कि पहले से ब्याह कर गई बेटियों के गुणों को देखकर भी लोग शादी के लिए रिश्ता भेज रहे हैं। – समर खान, डायरेक्टर निर्भया फाउंडेशन

कुछ समय पहले भोपाल के एक करोड़पति परिवार ने संपर्क किया था। उनका कहना था कि घर में सबकुछ है। वह ऐसी लड़की को परिवार में लाना चाहते हैं, जो परिवार की कमी महसूस करती है। इससे बड़ा पुण्य नहीं हो सकता। – नीलम कौर, डायरेक्टर घरौंदा

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