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सेविंग बिना इनकम टैक्स से छूट कमाओ – उड़ाओ की प्रवृत्ति बढ़ाने वाला, रियल एस्टेट और बचत योजनाओं पर पड़ सकता है प्रभाव

मनीष दीक्षित, भोपाल। हाल ही में पेश हुए बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बचत को प्रोत्साहन देने के लिए कुछ महत्वपूर्ण ऐलान किए। लेकिन, इनकम टैक्स के मोर्चे पर कुछ ऐसे बदलाव भी हुए हैं, जिससे आम लोगों, खासकर युवाओं में बचत को लेकर रुझान घट सकता है। इस परिवर्तन का असर बचत योजनाओं के अलावा टैक्स बचाने के लिए रियल एस्टेट में निवेश करने वाले युवाओं पर भी पड़ सकता है। ऐसे में उनमें कमाओ-उड़ाओ की प्रवृति बढ़ सकती है।

बजट पेश होने के पहले से अनुमान लगाए जा रहे थे कि इस बार टैक्सेशन में बदलाव होगा। हुआ भी वैसा ही। लेकिन, विशेषज्ञों का मानना है कि आयकर में हुए बदलाव लोगों की बचत और निवेश पर असर डालेंगे। दरअसल इस बार के बजट में टैक्स से जुड़े कई उपाय किए गए हैं और इन सबका उद्देश्य पुराने टैक्स रिजीम की तुलना में इसे ज्यादा आकर्षक बनाना है। साफ है कि देश अब नए टैक्स रिजीम की तरफ कदम दर कदम बढ़ रहा है।

बचत के हिसाब से सही कदम नहीं

सैद्धांतिक रूप से यह अच्छा विचार हो सकता है कि 7 लाख तक की आय वाले लोग किसी छूट का इस्तेमाल किए बिना टैक्स के दायरे से बच जाएं। लेकिन, टैक्स विशेषज्ञों का कहना है कि इससे लोगों में अधिक से अधिक खर्च करने की प्रवृत्ति बढ़ेगी और बचत करने की आदत घटेगी। इस हिसाब से यह सही कदम नहीं कहा जा सकता।

समझें नई और पुरानी टैक्स रिजीम 

नई रिजीम : तीन लाख तक शून्य टैक्स। 7 लाख तक आय वालों को 87ए के तहत टैक्स रिबेट का फायदा मिलेगा। अब तक यह 5 लाख तक सालाना आय वालों को ही मिलती थी। इससे 7 लाख तक आय वालों को किसी तरह का टैक्स नहीं देना पड़ेगा। हालांकि, इस पर 50,000 रुपए के स्टैंडर्ड डिडक्शन और 2,500 के प्रोफेशनल टैक्स के अलावा किसी तरह के डिडक्शन का फायदा नहीं मिलेगा।

पुरानी टैक्स रिजीम : 4.25 लाख रुपए तक का डिडक्शन मिल जाता है। इसमें 50,000 रुपए स्टैंडर्ड डिडक्शन, 2 लाख तक होम लोन ब्याज, 80C के तहत 1.5 लाख रुपए, हेल्थ इंश्योरेंस के लिए 80D के तहत 25,000 रुपए की छूट मिल जाती है।

सरकार की नीतियों की दिशा स्पष्ट नहीं

वरिष्ठ चार्टर्ड अकाउंटेंट प्रमोद शर्मा कहते हैं कि इस बजट से सरकार की आर्थिक नीतियों की दिशा स्पष्ट नहीं हो रही है। दरसअल, बजट के माध्यम से जनता के आर्थिक व्यवहारों की दिशा तय की जाती है। मसलन आप किसी को किस प्रकार के आर्थिक निर्णय लेने के लिए प्रेरित या हतोत्साहित करना चाहते हैं। बचत और सामाजिक सुरक्षा दोनों ही आर्थिक गतिविधियां हैं। यह बजट रियल एस्टेट के लिए लिए निगेटिव है। यदि सरकार को हाउसिंग सेक्टर को प्रमोट करना होता तो उसे हाउसिंग लोन के लिए प्रोत्साहन देना चाहिए, जो कि इस बजट में समाप्त कर दिया गया। जीवन बीमा के अलावा हेल्थ इंशोरेंस के लिए भी बजट उत्साहवर्धक नहीं है, क्योंकि इसमें धारा 80 डी को समाप्त किया जा रहा है। यही नहीं धारा 80 सी में नेशनल पेंशन योजना के 50,000 के कंट्रीब्यूशन के लिए टैक्स से छूट मिलती है, जो कि आने वाले समय में बंद की जा सकती है।

रेंटल प्रॉपर्टी का ज्यादा तरजीह

क्रेडाई के प्रवक्ता मनोज मीक कहते हैं कि इस बजट में जो टैक्स के प्रावधान किए गए हैं, उसका असर रियल एस्टेट पर भी पड़ेगा। दरअसल ईएमआई बनाम रेंटल प्रॉपर्टी के बीच तुलना करने पर रेंटल प्रॉपर्टी ही सस्ती पड़ती है। इसीलिए एक बड़ा वर्ग किराये के घर को तरजीह देने लगा है। अब यह किराये के घर लेने वालो की संख्या और बढ़ेगी। दरअसल रशिया, अमेरिका, चीन जैसे देशों की तरह हमारी अर्थव्यवस्था भी रेंटल हाउसिंग की तरफ बढ़ रही है। विदेशों में नए घर और गाड़ी लेने का चलन कम हो रहा है, क्योंकि जब लोगों के पास सस्ते विकल्प हैं तो पैसा खर्च क्यों करे ? प्रॉपर्टी की छूट मिलना भी बंद हो जाएगी तो जाहिर है प्रॉपर्टी खरीदने वालों की संख्या भी घटेगी। बिल्डर्स भी रेंटल प्रोजेक्ट्स पर अपना फोकस कर सकते हैं।

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