
धर्मेन्द्र त्रिवेदी-ग्वालियर। देश-विदेश में पहचान बना चुके और भारत में चीता संरक्षण के लिए तैयार हुए कूनो नेशनल पार्क की मुख्य नदी कूनो सहित क्वारी, अहेली के अलावा चंबल नदी में स्थापित डॉल्फिन और घड़ियाल सेंचुरी खतरे में है। 6607 वर्ग किमी क्षेत्र में बहने वाली नदियों का वास्तविक वजूद अतिक्रमण और अवैध उत्खनन के कारण खत्म हो रहा है।
अंधाधुंध दोहन और अपशिष्ट ने तीन राज्यों को जोड़ने वाली मुख्य नदी चंबल सहित अन्य सहायक नदियों को प्रदूषित करना शुरू कर दिया है। एनजीटी द्वारा मुरैना को एपिसेंटर नदियों को बचाने के लिए मामला संज्ञान में लिया। इसके बाद तीन बॉर्डर मीटिंग हुई और फिर अब सब पुराने ढर्रे पर आ गया है। पाली घाट से वीरपुर तक 70 किलोमीटर क्षेत्र में चंबल का स्तर लगातार कम हो रहा है।
नदी से है कूनो नेशनल पार्क की पहचान
कूनो नदी में बेतहाशा उत्खनन हो रहा है, जबकि क्वारी नदी के अस्तित्व पर भी खतरा है। इस नदी से कछुओं की तस्करी हो रही है। जंगल को पहचान देने वाली अहेली, कदवाल, अमराल, सरारी, दौनी, भादड़ी, ककरैंडी और दुआर सहित अन्य नदियों की धार अब सिर्फ बारिश में दिखती है।
ये नदियां जिन्हें चाहिए जीवन
- चंबल नदी इंदौर से यूपी के इटावा तक 843 किलोमीटर बहती है।
- पार्वती नदी सीहोर के आष्टा से श्योपुर के पाली तक 383 किलोमीटर बहती है।
- क्वारी नदी शिवपुरी के बेवलपुर से मुरैना के अंबाह तक 200 किलोमीटर बहती है।
- कूनो नदी गुना के पाटई से श्योपुर के वीरपुर तक 180 किमी बहती है।
- सीप नदी कराहल के पनवाड़ा से रामेश्वर त्रिवेणी (मानपुर) तक 120 किलोमीटर बहती है।
- अहेली नदी सूंसवाड़ा के संकुडली (श्योपुर) के पास तक 100 किलोमीटर बहती है।
कार्रवाई की जाएगी
अवैध तरीके से नदियों को नुकसान पहुंचा रहे तत्वों पर हम अभियान चलाकर कार्रवाई करेंगे। जबकि प्रदूषित होने से बचाने के लिए जागरूकता का प्रयास किया जाएगा। -किशोर कान्याल, कलेक्टर, श्योपुर
नदी प्रदूषित होने से जलीय जीवों का श्वसन तंत्र कमजोर होता है। प्रजनन में कमी आती है। पानी को साफ रखने वाले कछुए पर प्रदूषण का जल्दी असर हो रहा है। -डॉ. गौरव परिहार वन्य प्राणी विशेषज्ञ