
नई दिल्ली। देश में सर्जरी के बाद हर साल औसतन लगभग 15 लाख मरीज संक्रमण की चपेट में आते हैं। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में सर्जरी के बाद होने वाले संक्रमण यानी सर्जिकल साइट इंफेक्शन (एसएसआई) को लेकर यह चिंताजनक स्थिति बताई गई है। बता दें, एसएसआई तब होता है, जब सर्जरी के दौरान लगाए गए चीरे में घुस कर बैक्टीरिया उसे संक्रमित कर देते हैं।
आईसीएमआर की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में सर्जरी के बाद मरीजों के एसएसआई से संक्रमित होने की दर 5.2 प्रतिशत है, जो कई विकसित देशों से अधिक है। रिपोर्ट के अनुसार हड्डियों, मांसपेशियों से संबंधित सर्जरी या आर्थोपेडिक सर्जरी के मामलों में एसएसआई की दर 54.2 प्रतिशत है, जो बेहद चिंता की बात है। इस समस्या से निपटने के लिए आईसीएमआर ने एसएसआई निगरानी नेटवर्क लॉन्च किया है। आईसीएमआर की रिपोर्ट का उद्देश्य ऐसे संक्रमणों को रोकने के लिए देशभर के डॉक्टरों की मदद करना है। आईसीएमआर ने 3 प्रमुख अस्पतालों (एम्स दिल्ली, कस्तूरबा अस्पताल मणिपाल और टाटा मेमोरियल अस्पताल मुंबई) में 3,090 मरीजों की सर्जरी पर यह अध्ययन किया।
229 तरह के बैक्टीरिया मिले, जिन्हें कहा जाता है सुपरबग
दिल्ली एम्स की प्रो. पूर्वा माथुर के अनुसार इस संक्रमण से प्रभावित मरीजों में घातक बैक्टीरिया भी मिले हैं। इन मरीजों के घावों में 229 तरह के बैक्टीरिया पाए गए, जो सुपरबग के नाम से चर्चित हैं। मरीजों में मिले 229 तरह के बैक्टीरिया में सर्वाधिक 52% क्लेबसिएला निमोनिया, स्यूडोमोनास एरुजिनोसा व एस्चेरिचिया कोलाई हैं, जिन्हें मरीजों के लिए जानलेवा माना जाता है। इनमें 21% सबसे आम आइसोलेट क्लेबसिएला निमोनिया मिला, जो मरीज के लिए तब खतरनाक होता है, जब वह शरीर के अन्य भागों में प्रवेश करता है।
आईसीएमआर ने कहा- डॉक्टर सतर्कता बरतें
अध्ययन में शामिल चिकित्सकों के अनुसार, सर्जिकल साइट संक्रमण के अधिकांश मामलों की रोकथाम आसानी से की जा सकती है। इसके लिए डॉक्टरों को खास सतर्कता बरतने की जरूरत है, क्योंकि रिकवरी की निगरानी के दौरान वे इसका पता लगा सकते हैं। भारत में अधिकांश मरीज ऑपरेशन के बाद घर पहुंचने पर इलाज से जुड़ी चीजों को भूलने लगते हैं। ऐसे में डॉक्टरों की जिम्मेदारी है कि सभी जांच रिपोर्ट से संतुष्ट होने के बाद ही उनकी छुट्टी की जाए, साथ ही उन्हें हर जानकारी प्रदान की जाए।
एसएसआई के लक्षण ये होते हैं
- जिस जगह सर्जरी हुई है, वहां सूजन हो जाए तो इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है।
- सर्जरी वाली जगह पर दर्द हो सकता है।
- सर्जरी से पस निकल सकता है।
- सर्जरी वाले हिस्से में दर्द के साथ बुखार।
ऑर्थोपेडिक सर्जरी कराने वाले मरीजों को खतरा ज्यादा
- अध्ययन में पता चला कि ऑर्थोपेडिक सर्जरी कराने वाले मरीजों में एसएसआई होने का खतरा अधिक पाया गया।
- कुल मरीजों में 161 मरीज (5.2%) सर्जरी के बाद इसकी चपेट में आए।
- आमतौर पर 120 मिनट यानी दो घंटे से अधिक समय तक चलने वाली सर्जरी के बाद मरीजों में एसएसआई का जोखिम बढ़ता है।
- एसएसआई की पहचान करने के लिए मरीजों के डिस्चार्ज के बाद उनकी निगरानी जरूरी है।
- डिस्चार्ज के बाद निगरानी से एसएसआई के 66 प्रतिशत मामलों का पता लगाने में मदद मिली।