
बर्लिन। जर्मनी इस समय आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है। इस चुनौती से उबरने के लिए निजी कंपनियां अब कर्मचारियों की बीमारी की छुट्टी की सच्चाई का पता लगाने के लिए जासूसों की नियुक्ति कर रही हैं। जिन कर्मचारियों ने बीमारी के कारण लंबी छुट्टी ली है, जासूस उन पर नजर रख रहे हैं। बता दें, जर्मनी में प्राइवेट जासूस मार्कस लेंट्ज ने बताया कि अगर कोई साल में 30-40 या कभी- कभी 100 दिन तक बीमार रहता है तो फिर वो कंपनियों के लिए आर्थिक रूप से अनाकर्षक हो जाते हैं। इसका मतलब है कि कंपनियां उनमें इंटरेस्ट नहीं दिखाती हैं।
जर्मनी में ऑटो टाइटन्स से लेकर उर्वरक उत्पादकों तक, कंपनियां यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था पर बीमार की छुट्टी की उच्च दरों के प्रभाव के बारे में टेंशन पैदा कर रही हैं। इधर जासूसों की बढ़ती मांग के बीच फ्रैंकफर्ट के सेंट्रल रेलवे स्टेशन के पास स्थित निजी जासूसी फर्म लेंट्ज ग्रुप के संस्थापक मार्कस लेंटेज ने बताया कि उनकी कंपनी सालाना लगभग 1,200 मामलों को संभालती है, जो कुछ साल पहले देखी गई संख्या से दोगुनी है। उन्होंने बताया कि हमारा काम कर्मचारियों की वास्तविक स्थिति का पता लगाना है।
यह है जर्मनी का श्रम कानून
- जर्मन श्रम कानूनों के तहत बीमार छुट्टी पर जाने वाले कर्मचारियों को प्रति वर्ष छह सप्ताह तक अपना पूरा वेतन पाने का अधिकार है।
- इस अवधि के बाद स्वास्थ्य बीमा बीमारी लाभ को कवर करता है।
- इस वित्तीय बोझ ने कई कंपनियों को निजी जासूसों को काम पर रखने के लिए प्रेरित किया है, भले ही ऐसी सेवाओं की संभावित उच्च लागत हो।
कोरोना महामारी के बाद से बढ़ा छुट्टी का कल्चर
विशेषज्ञ बीमारी की छुट्टी में इस वृद्धि का श्रेय आंशिक रूप से कोरोना महामारी के दौरान शुरू की गई चिकित्सा प्रमाणन नीतियों को देते हैं। इन नीतियों के तहत, कर्मचारी हल्के लक्षणों के लिए फोन पर बीमारी की छुट्टी का प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकते थे। महामारी के दौरान यह प्रणाली व्यावहारिक होने के बावजूद दुरुपयोग का कारण बनी, जिसमें व्यक्ति छुट्टी पाने के लिए लक्षणों को बढ़ा-चढ़ाकर बताते हैं।
सिक लीव से प्रॉडक्शन गिरा, जीडीपी में गिरावट
बढ़ती सिक लीव के कारण प्रोडक्शन से लेकर निर्यात तक में कमी देखने को मिली है, जिसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है। जर्मन एसो. ऑफ रिसर्च-बेस्ड फार्मास्युटिकल कंपनी के मुख्य अर्थशास्त्री क्लॉस मिशेलसन ने कहा कि सिक लीव को लेकर हमने पाया है कि बीमारी के कारण काम पर अनुपस्थिति की उच्च दर से पिछले साल जर्मनी के उत्पादन में 0.8 फीसदी की कमी आई। इसके कारण अर्थव्यवस्था को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
2021 की तुलना में अब लोग ज्यादा ले रहे सिक लीव
जर्मनी में बीमार छुट्टी मांगने वाले कर्मचारियों की संख्या में वृद्धि हुई है। 2021 में प्रति कर्मचारी बीमार छुट्टी की दर 11.1 (दिन) थी, अब यह बढ़कर 15.1 (दिन) हो गई है। जर्मनी की प्रमुख स्वास्थ्य बीमा कंपनी टीके के अनुसार, कर्मचारियों ने 2024 के पहले नौ महीनों में औसतन 14.13 दिन की बीमार छुट्टी ली। ओईसीडी के आंकड़ों के अनुसार, 2023 में बीमारी के कारण जर्मन कर्मचारियों ने 6.8 प्रतिशत कामकाजी घंटे खो दिए।