
हर्षित चौरसिया, जबलपुर। गोवंश बढ़ाने की दिशा में काम कर रही प्रदेश की एक मात्र यूनवर्सिटी नानाजी देशमुख वेटरनरी साइंस के डेयरी फार्म की साहीवाल प्रजाति की टैग नंबर-54 की गाय को सुपर मॉम का दर्जा दिया गया है। साहीवाल प्रोजेक्ट के प्रिंसिपल इन्वेस्टीगेटर डॉ. एपी सिंह ने बताया कि विवि के कुलपति प्रो. डॉ. एसपी तिवारी के निर्देशन में प्रोजेक्ट के अंतर्गत डेयरी फार्म में टैग नंबर-54 की गाय से एम्ब्रियो टेक्निक के जरिये अब तक 10 भ्रूण अवर्णित गायों की कोख (सेरोगेट मदर) में प्रत्यारोपित किए जा चुके हैं। इन सभी गायों से स्वस्थ बच्चे जन्मे हैं। अब तक कुल 15 बच्चों का जन्म हुआ है। इनमें अकेले 10 बच्चे (साहीवाल) के टैग नंबर-54 वाली गाय के हैं।
क्यों चुनी गई नंबर 54 की गाय
डॉ. एपी सिंह बताते हैं कि विवि के डेयरी फार्म में 30 साहीवाल गोवंश हैं। इनमें 10 सबसे हेल्दी थे। लेकिन सबसे ज्यादा दुग्ध उत्पादन क्षमता टैग नंबर-54 वाली गाय की थी। इसलिए इसे सबसे पहले चुना है। गिर प्रजाति की सिर्फ 10 गाये ही थीं। इसलिए गिर की गायों को दूसरे प्रोजेक्ट में रखा गया।
बछिया अधिक जन्मीं
डॉ. सिंह ने बताया कि अब तक 15 बच्चों में 12 बछिया और 3 बछड़े हैं। यह विश्वविद्यालय का ही प्रोजेक्ट है। इस पर अगस्त 2020 से भ्रूण प्रत्यारोपण पर काम करना शुरू किया गया था। प्रोजेक्ट में काम रही टीम में डॉ. नितिन बजाज, डॉ. अभिषेक बिसेन भी शामिल हैं।
पांच गौशालाओं से लेकर आए अवर्णित गायें
प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए वेटरनरी यूनिवर्सिटी ने नगर निगम के साथ निजी गौशालाओं से कुल 28 अवर्णित गोवंश लिया। इनका स्वास्थ्य परीक्षण करने के बाद पूरी प्रक्रिया की गई। इनमें दयोदय, शहपुरा, गोसलपुर, रामपुर व नगर निगम की एक गोशाला से गौवंश चिह्नित किए गए थे।
क्या होती है अवर्णित गाय
पशु वैज्ञानिकों के मुताबिक दुग्ध उत्पादन नहीं कर पाने वाली गायों को अवर्णित गाय कहा जाता है। ऐसी गायों को किसान, पशुपालक सड़कों पर विचरण के लिए छोड़ देते हैं।
प्रदेश में गोवंश संरक्षण को लेकर विवि के पशु वैज्ञानिक काम कर रहे हैं। अवर्णित गाय की कोख में साहीवाल के भ्रूण का सफलतापूर्वक प्रत्यारोपण और इसके बाद स्वस्थ बच्चों का जन्म हमारे लिए सबसे बड़ी उपलब्धि है। सीमित संसाधनों में वैज्ञानिकों की टीम ने यह कर दिखाया है। लगातार इस पर काम किया जा रहा है। – प्रो. डॉ. एसपी तिवारी, विवि के कुलपति