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मानसून आने से बिजली का लोड कम, पर ट्रिपिंग के नाम पर हो रही 18 घंटे तक कटौती

‘लोगों की परेशानी सुनें, शहर सहित पूरे अंचल में बिजली कटौती से हाहाकार मचा है। 7 जून तक व्यवस्थाएं सुधार लें, नहीं तो दंड के लिए तैयार रहे।’

भोपाल। भोपाल के कोलार निवासी राजेश बताते हैं पहले गर्मी में बिजली कटौती से परेशान रहे,वहीं अब बारिश शुरू होते की दिन में कई बार बिजली जाती है। दरअसल ये परेशानी सिफ भोपाल की नहीं बल्कि प्रदेश भर की है। मानसून के चलते प्रदेशभर में बिजली की डिमांड कम होने लगी है। इसके चलते यह मांग साढ़े दस हजार मेगावाट तक सिमट गई है लेकिन तेज आंधी और बारिश से बिजली लाइनों में रखरखाव में लापरवाही से ट्रिपिंग के मामले बढ़ने लगे हैं।

इस तरह के हालात भोपाल, इंदौर ग्वालियर, जबलपुर सहित प्रदेशभर के हैं। कुछ गांवों में तो 18 घंटे तक कटौती हो रही है। वहीं विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बिजली पर्याप्त है। कटौती नहीं हो रही है। इधर, मप्र विद्युत नियामक आयोग द्वारा निर्धारित बजट का सिर्फ 30 से 35 फीसदी राशि ही रखरखाव में खर्च हो पाती है।

भोपाल: 2 से 8 घंटे हो रही कटौती

बिजली कटौती और ट्रिपिंग की स्थिति केवल ग्रामीण इलाकों ही नहीं बल्कि राजधानी भोपाल के पॉश इलाकों में भी है। कोलार रोड स्थित मंदाकिनी कॉलोनी के रहवासी तीन माह से बिजली कटौती से परेशान हैं। पहले सिक्सलेन प्रोजेक्ट में खंभों की शिफ्टिंग के नाम पर कटौती चल रही थी, लेकिन अब शिफ्टिंग होने के बाद भी रोजाना 2 से 4 घंटे बिजली गुल हो रही है। नीलबड़ में हल्की हवा से ही 2 से 8 घंटे के लिए अंधेरा छा जाता है।

शिकायतें दोगुना हुईं: बिजली कंपनी के एक अफसर का कहना है कि कॉल सेंटर पर बिजली गुल होने की शिकायतें रोजाना डेढ़ हजार से बढ़कर तीन हजार हो गई है।

अधिकारी बोले: मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के जनसंपर्क अधिकारी मनोज द्विवेदी का कहना है कि बिजली पर्याप्त है और किसी जगह कोई कटौती नहीं हो रही है। आंधी-बारिश से बिजली सप्लाई बंद हो जाती है।

इंदौर : मेंटेनेंस के नाम पर कभी भी चली जाती है बिजली

बिजली कटौती के दंभ से इंदौर भी बचा नहीं है। यहां भी हल्की बारिश या मेंटेनेंस के नाम पर कभी-कभी घंटों बिजली गुल होने से लोग परेशान हैं।

अधिकारी बोले: बिजली वितरण कंपनी के प्रबंध निदेशक अमित तोमर का कहना है कि तेज बारिश, आंधी के चलते फाल्ट होने पर कुछ समय के लिए बिजली सप्लाई अवरुद्ध हो जाती है।

ग्वालियर :18 घंटे तक कटौती

ग्वालियर अंचल के डबरा के कुछ गांवों में 18 घंटे कटौती की जा रही है। मुरैना में 4 , भिंड में 5 तो वहीं श्योपुर में 6 से 8 घंटेतक बिजली गुल हो रही है। दतिया जिले में रोजाना दो से 4 घंटे, डबरा में 8 घंटे और इससे लगे टेकनपुर में 18 घंटे तक बिजली कटौती हो रही है।

अधिकारी का तर्क: बिजली कंपनी के मुख्य महाप्रबंधक राजीव गुप्ता का कहना है कि हमारी टीमें 24 घंटे काम कर रही है, बारिश में फॉल्ट की वजह से बिजली की परेशानी हो रही है।

जबलपुर में भी यही हाल

जबलपुर शहर में अधारताल इलाके में प्रतिदिन 1 से 2 घंटे बिजली गुल हो रही है। कटनी, मैहर, सतना, रीवा, उमरिया, शहडोल, अनूपपुर, डिंडौरी जिलों में भी हर कभी बिजली चली जाती है।

अधिकारी का तर्क: पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के सिटी एई संजय अरोरा का कहना है कि पर्याप्त बिजली है। घोषित रूप से कहीं भी बिजली कटौती नहीं की जा रही है।

बिजली लाइनों में रखरखाव में लापरवाही के चलते बारिश में ट्रिपिंग के मामले बढ़ गए हैं। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में 2 से 8 घंटे तक बिजली गुल रहती है। असल में मप्र विद्युत नियामक आयोग ने रखरखाव के नाम पर जो बजट तय किया है, कंपनियां उनमें से सिर्फ 30 से 35 फीसदी ही खर्च कर पाती है। पर्याप्त अमला भी नहीं है। आउटसोर्स के कर्मचारियों के जरिए मेंटेनेंस किया जा रहा है। – राजेंद्र अग्रवाल, रिटायर्ड अतिरिक्त मुख्य अभियंता, जेनेको

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