Shivani Gupta
18 Sep 2025
भोपाल। मोहन मंत्रिमंडल के मंत्रियों को जल्दी ही जिलों का प्रभार सौंपने की कवायद चल रही है। मंत्रियों को अपना काम- काज संभाले 7 महीने बीत गए लेकिन उनके बीच जिलों का बंटवारा अब तक नहीं हो पाया। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव पूर्व में ही स्पष्ट कर चुके हैं कि आजादी की सालगिरह के पहले ही प्रभार सौंप दिए जाएंगे। इस बार यह प्रयास किए जा रहे हैं कि मंत्रियों को उनके गृह नगर के पड़ौस अथवा नजदीकी जिलों की कमान सौंपे जाएंगे ताकि उनका ज्यादा से ज्यादा प्रवास हो सके। पूर्ववर्ती सरकार में कुछ मंत्रियों के प्रभार के जिले उनके गृह नगर से 11 से 14 घंटे की दूरी पर भी थे। इस वजह से प्रभार के जिलों में उनके दौरे ज्यादा नहीं हो पाए।
बताया जाता है कि इस बार मौजूदा मंत्रियों को उनके गृह नगर के आसपास जिलों के प्रभार मिल सकते हैं। सीएम डॉ यादव के एक दिन पहले दिल्ली यात्रा को भी इसी से जोड़कर देखा जाने लगा है। इसके साथ ही 10 दिन पहले मंत्री पद की शपथ ले चुके रामनिवास रावत को विभाग का आवंटन भी होना है। इसी तारतम्य में सीएम ने बुधवार को दिल्ली यात्रा के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा सहित राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश से मुलाकात कर लंबी चर्चा की थी। कुछ मंत्रियों को दो जिलों का प्रभार भी दिए जाएंगे। उनके प्रभार के जिलों की दूरी इतनी रहेगी ताकि वे मीटिंग करके वापस राजधानी अथवा अपने गृह क्षेत्र तक लौट सकें।
पूर्ववर्ती सरकार में मंत्री रहे हरदीप सिंह डंग के प्रभार का जिला बालाघाट उनके निर्वाचन क्षेत्र सुवासरा से 720 किलोमीटर की दूरी पर था। सड़क मार्ग से बालाघाट पहुंचने में ही उन्हें 14 घंटे लगते थे। ओमप्रकाश सखलेचा को जावद से छतरपुर तक की 611 किमी दूरी तय करने में कम से कम 11 घंटे लगते थे। प्रभुराम चौधरी के लिए रायसेन से धार 306 किमी छह घंटे, बिजेंद्र सिंह को पन्ना से सिंगरौली 323 किमी साढ़े सात घंटे और नरोत्तम मिश्रा के लिए दतिया से इंदौर 480 किमी की दूरी थी।