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डॉलर के मुकाबले रुपए अपने सबसे निचले स्तर पर… इतनी पहुंची कीमत

मजबूत अमेरिकी डॉलर और निराशावादी वैश्विक बाजार के बीच सोमवार को भारतीय रुपए डॉलर के मुकाबले अपने अब तक के न्यूनतम स्तर पर खुला। भारतीय रुपया सोमवार को 19 पैसे की गिरावट के साथ 77.10 प्रति डॉलर पर खुला। कच्चे तेल में तेजी, यूएस डॉलर इंडेक्स 20 साल के उच्च स्तर पर, यूएस बॉन्ड यील्ड 2018 के बाद से उच्चतम स्तर पर है, बिकवाली के दबाव में इक्विटी बाजार भारतीय मुद्रा के लिए प्रमुख चुनौतियां हैं। बता दें कि, भारतीय रुपया शुक्रवार को 76.91 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।

पिछले सत्र में, रुपया इंट्रा-डे सौदों के दौरान ग्रीनबैक के मुकाबले 76.97 पर फिसल गया, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा संभावित हस्तक्षेप के बाद रिबाउंडिंग से पहले अपने सभी समय के निचले स्तर पर पहुंच गया। देश का विदेशी मुद्रा भंडार भी 29 अप्रैल को समाप्त सप्ताह के लिए घटकर 598 बिलियन डॉलर हो गया, जो 3 सितंबर, 2021 को समाप्त सप्ताह में $642 बिलियन के अपने सर्वकालिक उच्च स्तर से नीचे है। स्थानीय इकाई ने अपने पिछले बंद से 67 पैसे या 0.87 प्रतिशत की गिरावट के साथ दिन 76.93/$ का अंत किया।

बढ़ती महंगाई का बाजार पर हो रहा असर

बढ़ती मुद्रास्फीति, दुनिया के प्रमुख देशों में मौद्रिक नीति के सख्त होने, आर्थिक मंदी और बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव की वजह से निवेशकों की चिंता बढ़ गई है। जिसका असर बाजार पर देखने को मिल रहा है। इसके अलावा, बाजार सहभागियों को डर है कि कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों से भारत के व्यापार और चालू खाते को नुकसान होगा। US$INR (मई) के 76.80-77.25 के दायरे में कारोबार करने की उम्मीद है।

जोरदार गिरावट के साथ खुला बाजार

कोरोना महामारी की नई लहर और महंगी होती ब्याज दरों के कारण दुनिया भर के शेयर बाजारों में बिकवाली का दौर जारी है। सप्ताह के पहले कारोबारी दिन भारतीय शेयर बाजार गिरावट के साथ खुला। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 612 अंक या 1.12 फीसदी टूटकर 54,223 के स्तर पर खुला। वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 174 अंक या 1.06 फिसलकर 16,237 के स्तर पर खुला।

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रुपया कमजोर या मजबूत क्यों होता है?

रुपए की कीमत पूरी तरह इसकी मांग एवं आपूर्ति पर निर्भर करती है। इस पर आयात एवं निर्यात का भी असर पड़ता है। दरअसल हर देश के पास दूसरे देशों की मुद्रा का भंडार होता है, जिससे वे लेनदेन यानी सौदा (आयात-निर्यात) करते हैं। इसे विदेशी मुद्रा भंडार कहते हैं। समय-समय पर इसके आंकड़े रिजर्व बैंक की तरफ से जारी होते हैं।

विदेशी मुद्रा भंडार के घटने और बढ़ने से ही उस देश की मुद्रा पर असर पड़ता है। अमेरिकी डॉलर को वैश्विक करेंसी का रुतबा हासिल है। इसका मतलब है कि निर्यात की जाने वाली ज्यादातर चीजों का मूल्य डॉलर में चुकाया जाता है। यही वजह है कि डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत से पता चलता है कि भारतीय मुद्रा मजबूत है या कमजोर।

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