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विदेशों में संपत्ति खरीदने वाले अमीर भारतीयों पर ईडी की कड़ी नजर, अप्रत्यक्ष संपत्ति इकट्ठा करने पर लगेगी रोक

मुंबई। ब्रिटेन में अपार्टमेंट और आलीशान हवेलियां खरीदने के लिए विदेशी कंपनियों का उपयोग करने वाले अमीर भारतीय अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) के रडार पर आ गए हैं। भारतीय में रहने वाले व्यक्तियों को हर साल ढाई लाख डॉलर तक की राशि विदेश में संपत्ति खरीदने के लिए भेजने की अनुमति है, लेकिन विदेशी कंपनियों के शेयर खरीदकर अप्रत्यक्ष रूप से संपत्ति हासिल करना विदेशी मुद्रा विनियमों (Foreign Exchange Regulations) का उल्लंघन है।

हालांकि, कई संपन्न भारतीय परिवार यह मानकर कि ये लेन-देन कभी सामने नहीं आएंगे, वर्षों से ऐसी कंपनियों के शेयर खरीदकर संपत्तियों को नियंत्रित कर रहे थे। इस तरह के लेन-देन से वे स्टांप ड्यूटी, पूंजीगत लाभ कर (Capital Gains Tax) और यहां तक कि विरासत कर (Inheritance Tax) से भी बचते रहे। ब्रिटिश सरकार ने इन कर संबंधी खामियों को दूर कर दिया है, लेकिन अभी भी कंपनियों के माध्यम से संपत्ति नियंत्रित करने के कुछ कर लाभ बरकरार हैं।

कंपनियों के असली मालिकों की पहचान आ रही सामने

अब ऐसे सौदों में शामिल भारतीयों की पहचान उजागर हो रही है। इसके पीछे दो प्रमुख कारण हैं,

  1. ईडी की जांच: प्रवर्तन निदेशालय भारतीय निवासियों द्वारा इनकम टैक्स रिटर्न (I-T Return) में घोषित विदेशी स्टॉक निवेशों की गहराई से जांच कर रहा है और यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि उनके पीछे असली संपत्तियां कौन सी हैं।
  2. ब्रिटेन में 2023 से लागू नियम: ब्रिटेन में 2023 से उन कंपनियों के लिए लाभकारी स्वामित्व (Beneficial Ownership – BO) का खुलासा अनिवार्य कर दिया गया है जो संपत्तियों की मालिक हैं।

बीते एक माह में कम से कम चार भारतीय नागरिकों को ईडी से नोटिस मिला है, क्योंकि वे उन कंपनियों के शेयर धारक हैं, जिनके पास ब्रिटेन या अन्य देशों में संपत्तियां हैं।

क्या कह रहे हैं कानूनी विशेषज्ञ

लॉ फर्म खैतान एंड कंपनी के पार्टनर मोइन लाढा के अनुसार, “विदेशी कंपनियों में निवेश तब तक मान्य है जब तक वे वैध व्यवसाय (Bonafide Business) कर रही हैं। लेकिन यदि कोई कंपनी केवल संपत्ति खरीदने के लिए बनाई गई है और उसका कोई अन्य व्यापार नहीं है, तो यह निवेश भारतीय नियमों का उल्लंघन करता है। यह ब्रिटेन जैसे बाजारों में एक आम तरीका है, लेकिन भारत में इसे अवैध माना जाता है।”

उन्होंने यह भी बताया कि यूके के भूमि पंजीकरण (संशोधन) नियम 2022 के तहत कंपनियों के लिए पंजीकरण की केवाईसी (KYC) प्रक्रिया व्यक्तियों की तुलना में आसान होती है।

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