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Earthquake : नेपाल में भूकंप के तेज झटकों से कांपी धरती, दिल्ली-NCR में भी महसूस हुए झटके; 5.3 रही तीव्रता

नई दिल्ली। नेपाल में एक बार फिर भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) के अनुसार, नेपाल में रविवार सुबह 7:24 बजे भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 5.3 मापी गई। वहीं उत्तर प्रदेश, बिहार और दिल्ली-एनसीआर में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप की वजह से किसी तरह के जान-माल के नुकसान की खबर नहीं है।

नेपाल में भूकंप

नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) के अनुसार, नेपाल में रविवार सुबह 7:24 बजे भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। भूकंप का केंद्र काठमांडू से लगभग 55 किमी (35 मील) पश्चिम में धाडिंग में जमीन के 14 किलोमीटर गहराई में था। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 5.3 मापी गई।

बिहार में भूकंप

बिहार के कई हिस्सों में रविवार सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए। पटना, पश्चिम चंपारण, सारण, सीवान, गोपालगंज और नेपाल से सटे कुछ जिलों में धरती में कंपन महसूस की गई। मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक, भूकंप का केंद्र नेपाल के काठमांडू के पास है। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 5.3 रिकॉर्ड की गई। बिहार में नेपाल के सटे तराई इलाकों में इसका असर देखने को मिला।

दिल्ली-NCR में 3 अक्टूबर को आया था भूकंप

इससे पहले 16 अक्टूबर को भी नेपाल के कई हिस्सों में 4.8 तीव्रता के भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे।नेपाल में 2015 में 7.8 तीव्रता के भूकंप और उसके बाद आए झटकों के कारण लगभग 9,000 लोगों की मौत हो गई थी।

वहीं 3 अक्टूबर को राजधानी दिल्ली और एनसीआर में शाम करीब 4:08 बजे भूकंप के झटके लगे थे। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर में आए भूकंप की तीव्रता 3.1 थी। भूकंप का केंद्र हरियाणा का फरीदाबाद बताया जा रहा था।

आखिर क्यों आते हैं भूकंप ?

भूकंप आने के पीछे की वजह पृथ्वी के भीतर मौजूद प्लेटों का आपस में टकराना है। हमारी पृथ्वी के अंदर सात प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती हैं। जब ये आपस में टकराती हैं, तब फॉल्ट लाइन जोन बन जाता है। जिसकी वजह से सतह के कोने मुड़ जाते हैं और वहां दबाव बनने लगता है। ऐसी स्थिति में प्लेट के टूटने के बाद ऊर्जा पैदा होती है, जो बाहर निकलने के लिए रास्ता ढूंढती है। जिसकी वजह से धरती हिलने लगती है।

कैसे मापते हैं भूकंप की तीव्रता

रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता मापी जाती है। भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है। भूकंप को इसके केंद्र (एपीसेंटर) से मापा जाता है। भूकंप को लेकर चार अलग-अलग जोन में बांटा गया है। मैक्रो सेस्मिक जोनिंग मैपिंग के अनुसार इसमें जोन-5 से जोन-2 तक शामिल है। जोन 5 को सबसे ज्यादा संवेदनशील माना गया है और इसी तरह जोन दो सबसे कम संवेदनशील माना जाता है।

किस तीव्रता का भूकंप कितना खतरनाक है

• 0 से 1.9 तीव्रता का भूकंप काफी कमजोर होता है। सीज्मोग्राफ से ही इसका पता चलता है।
• वहीं 2 से 2.9 तीव्रता का भूकंप रिक्टर स्केल पर हल्का कंपन करता है।
• 3 से 3.9 तीव्रता का भूकंप आने पर ऐसा लगता है जैसे कोई ट्रक आपके नजदीक से गुजर गया हो।
• 4 से 4.9 तीव्रता का भूकंप आने पर खिड़कियां टूट सकती हैं। साथ ही दीवारों पर टंगे फ्रेम गिर सकते हैं।
• 5 से 5.9 तीव्रता का भूकंप आने पर घर का फर्नीचर हिल सकता है।
• 6 से 6.9 तीव्रता का भूकंप आने पर इमारतों की नींव दरक सकती है।
• 7 से 7.9 तीव्रता का भूकंप खतरनाक होता है। इससे बिल्डिंग गिर जाती हैं और जमीन में पाइप फट जाती है।
• 8 से 8.9 तीव्रता का भूकंप काफी खतरनाक होता है। जापान, चीन समेत कई देशों में 8.8 से 8.9 तीव्रता वाले भूकंप ने खूब तबाही मचाई थी।
• 9 और उससे ज्यादा तीव्रता का भूकंप आने पर पूरी तबाही होती है। इमारतें गिर जाती है। पेड़ पौधे, समुद्रों के नजदीक सुनामी आ जाती है।

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