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ट्रेन में भीड़ के कारण कन्फर्म टिकट के बाद भी नहीं मिली सीट, रेलवे को देना पड़ा 16 हजार रु. का हर्जाना

कंज्यूमर कोर्ट में रेलवे के खिलाफ इस साल 21 मामलों में मिला न्याय

पल्लवी वाघेला-भोपाल। एडवोकेट संजू गुप्ता पिछले दिनों महामना एक्सप्रेस से छतरपुर से भोपाल आ रही थीं। ट्रेन में बागेश्वर धाम जाने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ थी। वह जैसे-तैसे ट्रेन में चढ़ तो गईं, लेकिन कंफर्म टिकट के बाद भी सीट नहीं मिली। उन्होंने कंज्यूमर कोर्ट में परिवाद दायर किया। फोरम के आदेश पर अक्टूबर 2024 में रेलवे को 16 हजार रुपए हर्जाना भरना पड़ा। इस साल जनवरी से अक्टूबर तक कोर्ट की दोनों बेंच ने रेलवे से जुड़े 21 मामलों में सुनवाई की और उपभोक्ता को हर्जाना दिलाया। इनमें दशहरे से छठ के बीच दो नई शिकायतें शामिल हैं।

यात्री का पर्स छीनने पर देना पड़ा हर्जाना : हर्षवर्धन नगर निवासी आरती तिवारी ने जून 2016 में परिवाद दायर किया था। रेवांचल एक्सप्रेस में गंजबसोदा स्टेशन पर एक लड़का उनके हाथ से पर्स छीनकर भाग गया था। पर्स में गहने, मोबाइल और करीब 73 हजार रुपए थे। उपभोक्ता के पक्ष में 72,450 रुपए सामान की मूल राशि, 10 हजार हर्जाना और तीन हजार परिवाद व्यय देने के आदेश दिए।

ट्रेन लेट होने से कनेक्टिव ट्रेन छूटी : भोपाल के सुदीप कुमार को नैनीताल जाना था। इसके लिए उन्होंने पहले दिल्ली और वहां से नैनीताल की कनेक्टिव ट्रेन का टिकट लिया था। उन्होंने बताया कि पहली ट्रेन लेट होने के कारण उनकी कनेक्टिव ट्रेन छूट गई थी। जनवरी 2020 में कंज्यूमर कोर्ट में परिवाद दायर किया था। कोर्ट ने रेलवे को 8 हजार रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया।

कंज्यूमर कोर्ट में रेलवे के खिलाफ ऐसी शिकायतें

  • मोबाइल और सामान चोरी होना।
  • भोजन संबंधी शिकायत।
  • ट्रेन कैंसिल या फिर लेट होने से कनेक्टिंग ट्रेन छूट जाना ।
  • रिफंड संबंधी मामले।
  • टिकट कंफर्म होने पर भी भीड़ की वजह से सीट नहीं मिलना।

उपभोक्ता को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना चाहिए। शुल्क देने के बाद भी सुविधा में लापरवाही अधिकारों का हनन है। रेलवे के मामले में चोरी, खाने की क्वालिटी के अलावा ट्रेन कैंसिलेशन, रिफंड, कन्फर्म टिकट होने के बावजूद सीट न मिलना जैसे मामलों में भी उपभोक्ता, कोर्ट से न्याय मांग सकता है। -मीना गुप्ता, एडवोकेट

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