Naresh Bhagoria
6 Nov 2025
प्रवीण श्रीवास्तव-भोपाल। आज देश का युवा डॉक्टर बनने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाता है। कॅरियर के नए विकल्प और पढ़ाई में लगने वाला समय और मेहनत... इन वजहों से इस प्रोफेशन में आने वाले युवाओं की संख्या घट रही है। हालांकि, इस दौर में भी कुछ ऐसे परिवार हैं, जिनकी तीन पीढ़ियां डॉक्टर पेशे से जुड़ी हुई हैं। उनका मानना है कि आगे उनके बच्चे डॉक्टर बनेंगे।
स्व. डॉ. संतोख सिंह के परिवार में बेटे गुरदीप सिंह तो प्रसिद्ध डॉक्टर थे ही, अब पोते मनबीर सिंह ने भी इस विरासत को आगे बढ़ाया है। डॉ. संतोख सिंह मप्र के पहले डॉक्टर थे , जिन्होंने 1951 मे नेत्र रोग में एमएस की डिग्री प्राप्त की थी। बेटे गुरदीप सिंह ने अपने कॅरियर में 75 हजार से ज्यादा आंखों के ऑपरेशन किए। अब डॉ. मनबीर भी इस पेशे में परिवार का मान बढ़ा रहे हैं।
शहर के पहले डॉक्टर के रूप में विख्यात स्व. डॉ. आरसी प्रसाद शर्मा ने 1942 में एमबीबीएस किया था। उन्होंने ब्रिटिश राज में विंध्यप्रदेश में सिविल सर्जन के रूप कार्य भी किया। उनके बेटे डॉ. वीके शर्मा भी गांधी मेडीकल कॉलेज में एचओडी रहे। अब उनके पोते डॉ. पराग शर्मा क्षेत्रीय श्वसन रोग संस्थान में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। परिवार में कुल पांच चिकित्सक हैं।
गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल के पैथोलॉजी विभाग के पहले विभागाध्यक्ष स्व. डॉ. पीएल टंडन की तीन पीढ़ियां चिकित्सा के पेशे से जुड़ी हैं। डॉ. टंडन हिस्टोपेथोलॉजी में कनाडा में फैलोशिप करने वाले पहले चिकित्सक थे। अब उनके बेटे डॉ. सुनीत टंडन हमीदिया अस्पताल के अधीक्षक हैं। जबकि उनके पोते डॉ. अंश टंडन के अलावा भाई, बहन और परिवार के अन्य सदस्य भी चिकित्सक हंै।