
प्रीति जैन- हाल में रिलीज हुई मलयालम फिल्म मंजुम्मल बॉयज को ऑडियंस का जबरदस्त रिस्पॉन्स मिला, लेकिन असली बात यह है कि कितने लोगों ने इस फिल्म से सबक लिया। सत्य घटना पर आधारित यह फिल्म सरवाईल ड्रामा है, जिसमें दोस्तों का ग्रुप एडवेंचर के चक्कर में फॉरेस्ट रेंजर की चेतावनी और फेंसिंग को फांदकर खतरनाक फिसलन भरे इलाके में घुस जाता है, जिसमें एक दोस्त गहरी खाई में चला जाता है। मानसून के आते ही तमाम झरनों और बरसाती नालों में लोगों को डूबने की खबरें आने लगती है। हाल ही में भोपाल में अमरगढ़ वॉटर फॉल घूमने गए एक परिवार को रेस्क्यू किया गया। इस बारे में एडवेंचर टूरिज्म से जुड़े लोगों का कहना है कि अनजान जगहों पर अच्छे-अच्छे तैराक तेज बहाव के साथ बहते चले जाते हैं और डूबने से उनकी मौत हो जाती है। थोड़ी सी समझदारी और झरनों के आसपास घूमने की सही प्लानिंग डूबने के जोखिम को कम कर सकती है।
मानसून में ट्रैकिंग ग्रुप के साथ जाती हूं घूमनेवीडियो में सीधे स्पॉट का नजारा दिखता है लेकिन वो जगह कितनी दुर्गम है या रास्ता कैसा है यह पता नहीं चलता। जब ऐसी जगहों पर जाएं अपने साथ गाइड या लोकल व्यक्ति को लेकर जाएं। मैं एडवेंचर टूरिज्म एक्सपर्ट के साथ हाल में पचमढ़ी गई थी, तो उन्हीं के गाइडेंस में ट्रैकिंग व बाकी वॉटर एक्टिविटीज को एंजॉय किया। सेल्फी व वीडियो पर फोकस करने की बजाए सेफ्टी पर फोकस करने को कहा जाता है और फोटोग्राफी टीम मेंबर करके देते हैं। – मोनिका शर्मा, ट्रैकिंग लवर
गंभीरता से लें चेतावनी वाले नोटिस बोर्ड, पानी में न उतरें
डूबने से बचाव का एक ही तरीका है कि स्वीमिंग की दक्षता को हर जगह टेस्ट न करें और पानी में हर कहीं न उतरें। स्वीमिंग पानी में डूबने से बचाव के लिए होती है न कि स्वीमिंग आने का मतलब कहीं भी पानी में उतर जाने का लाइसेंस। प्रिवेंशन का एक ही तरीका है रिस्क वाली जगहों व चेतावनी वाले नोटिस बोर्ड को गंभीरता से लें। हम अपने साथ जब ग्रुप को लेकर जाते हैं, तो किसी को तलहटी में उतरने नहीं देते। जहां पानी की छोटी-छोटी वॉटर बॉडीज होती है, बस उतने में पैर डालकर बैठने की अनुमति रहती है। पहले दो से तीन टीम लीडर वहां की रैकी करके आते हैं ताकि वहां की स्थिति पता हो। साथ में सेफ्टी उपकरण लेते हैं। – मनोज जौहरी, नेशनल चैयरमैन, यूथ हॉस्टल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (वाईएचएआई )