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Diwali 2024 : भगवान गणेश के दाहिनी ओर विराजती है मां लक्ष्मी? क्यों एक साथ होती है पूजा

धर्म डेस्क। हिंदू धर्म में सर्वप्रथम पूजनीय देव भगवान गणेश माने गए हैं। गणेश पूजन के बिना किसी भी देवता की पूजा संपन्न नहीं होती है। इसलिए किसी भी धार्मिक अनुष्ठान की शुरुआत श्रीगणेश के साथ होती है। आपने अब तक देखा होगा कि सभी देवों को उनकी देवियों के साथ पूजा जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि दिवाली के दिन मां लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु के अलावा गणेश जी का पूजन क्यों किया जाता है। मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की साथ-साथ पूजा करने का बहुत गहरा धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है।

मां लक्ष्मी की प्रतिमा सदैव गणेश जी के दाहिनी ओर रखी जाती है। यग एक बहुत ही महत्वपूर्ण धार्मिक और आध्यात्मिक अर्थ रखता है। यह व्यवस्था सिर्फ एक बैठक की मुद्रा नहीं है, बल्कि यह कई गहरे अर्थों से जुड़ी हुई है।

क्यों की जाती है मां लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश की पूजा

  • बुद्धि और धन का संगम: गणेश जी को बुद्धि के देवता माना जाता है और मां लक्ष्मी को धन की देवी। जब ये दोनों एक साथ विराजमान होते हैं, तो यह बुद्धि और धन के सामंजस्य का प्रतीक होता है। यह बताता है कि धन को प्राप्त करने के लिए बुद्धि का होना बहुत जरूरी है।
  • विघ्नहर्ता और सिद्धिदात्री: गणेश जी सभी विघ्नों को दूर करने वाले हैं और मां लक्ष्मी सिद्धिदात्री हैं। दोनों मिलकर सभी प्रकार के कष्टों को दूर करते हैं और भक्तों को सफलता प्रदान करते हैं।
  • शक्ति और बुद्धि का संतुलन: मां लक्ष्मी की शक्ति और गणेश जी की बुद्धि का संतुलन ही जीवन में सफलता का मूल मंत्र है।
  • शुभ आरंभ: किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत में गणेश जी की पूजा की जाती है क्योंकि वे सभी कार्यों में सफलता प्रदान करते हैं। मां लक्ष्मी की पूजा धन और समृद्धि के लिए की जाती है। इसलिए दोनों की एक साथ पूजा करने से शुभ आरंभ होता है।
  • मां लक्ष्मी की कृपा से संसार के मनुष्यों को धन-दौलत की प्राप्ति होती है, लेकिन मां लक्ष्मी की उत्पत्ति जल से होने की वजह से वे एक स्थान पर नहीं ठहरती हैं।
  • धन के साथ बुद्धि भी सदा साथ रहे। धार्मिक परिपेक्ष्य से धन और बुद्धि का एक साथ होना आवश्यक है। मां लक्ष्मी की पूजा से आर्थिक संपन्नता मजबूत होती है, जबकि भगवान गणेश जी पूजा से सुख-समृद्धि व बुद्धि की प्राप्ति होती है।
  • वास्तु के अनुसार: वास्तु शास्त्र के अनुसार, उत्तर-पूर्व दिशा को धन की देवी लक्ष्मी का स्थान माना जाता है। इसलिए गणेश जी के दाहिनी ओर मां लक्ष्मी का विराजमान होना वास्तु के अनुसार भी सही माना जाता है।

धन का होना तभी सार्थक है जब उसका सोच-समझकर सदुपयोग किया जाए। कहा जाता है कि यदि मनुष्य को अधिक लक्ष्मी यानी अत्यधिक धन की प्राप्ति हो जाए तो वह चकाचौंध में खो जाता है ऐसे में वह बुद्धि से काम ले इसलिए लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी का पूजन करना आवश्यक होता है।

इस वजह से गणेश जी के दाहिनी ओर विराजती हैं मां लक्ष्मी

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार लक्ष्मी जी को स्वयं पर अभिमान हो गया कि धन प्राप्ति के लिए सारा संसार उनकी पूजा करता है और उन्हें पाने के लिए व्याकुल रहता है। भगवान विष्णु को उनकी इस भावना के बारे में ज्ञात हो गया था। मां लक्ष्मी का अंहकार दूर करने के लिए भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी से कहा कि ‘देवी भले ही सारा संसार आपकी पूजा करता है और आपको पाने के लिए व्याकुल रहता है लेकिन आप अभी तक अपूर्ण हैं।’

यह बात सुनने के बाद माता लक्ष्मी ने जिज्ञासावश विष्णु जी से अपनी कमी के बारे में पूछा, तब विष्णु जी ने उनसे कहा कि ‘जब तक कोई स्त्री मां नहीं बनती तब तक वह पूर्णता को प्राप्त नहीं करती। आप नि:सन्तान होने की वजह से अपूर्ण हैं।’ माता लक्ष्मी को इस बात से अत्यंत दु:ख हुआ और उन्होंने अपनी सखी पार्वती को अपनी पीड़ा बताई। जिसके बाद माता लक्ष्मी का दु:ख दूर करने के उद्देश्य से पार्वती जी ने अपने पुत्र गणेश को उन्हें गोद दे दिया। तभी से भगवान गणेश माता लक्ष्मी के ‘दत्तक-पुत्र’ कहलाए।

गणेश जी को पुत्र रूप में प्राप्त करके माता लक्ष्मी अतिप्रसन्न हुईं और उन्होंने गणेश जी को यह वरदान दिया कि जो भी मेरी पूजा के साथ तुम्हारी पूजा करेगा मैं उसके यहां वास करूंगी, धार्मिक मान्यता के अनुसार, इसलिए सदैव लक्ष्मी जी के साथ उनके ‘दत्तक-पुत्र’ भगवान गणेश की पूजा की जाती है। मां लक्ष्मी और गणेश जी के बीच माता पुत्र का संबंध है और माता सदैव अपने पुत्र के दाहिनी ओर विराजती है, इसलिए मां लक्ष्मी भी गणेश जी के दाहिने ओर विराजती हैं।

(नोट: यहां दी गई सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। हम मान्यता और जानकारी की पुष्टि नहीं करते हैं।)

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