धर्म डेस्क। रोशनी का पर्व यानी दिवाली आज 31 अक्टूबर को मनाई जा रही है। 5 दिन तक चलने वाले इस त्योहार की शुरुआत धनतेरस वाले दिन से ही हो जाती है। इस दिन विशेषतौर पर मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है। ऐसे में कर्नाटक में एक ऐसा मंदिर है जो सिर्फ दिवाली के अवसर पर कुछ दिनों के लिए ही खोला जाता है।
कर्नाटक के हसन जिले में स्थित हसनंबा मंदिर भारत के सबसे रहस्यमयी मंदिरों में से एक है। इस मंदिर की खासियत यह है कि यह साल में सिर्फ एक बार दिवाली के दिन ही खोला जाता है। ये मंदिर साल के बाकी दिन बंद रहता है। आइए आपको इस मंदिर की खास बातों के बारे में बताते हैं।
मंदिर का इतिहास और महत्व
- देवी हसनंबा: यह मंदिर देवी हसनंबा को समर्पित है, जिन्हें शक्ति का अवतार माना जाता है।
- होयसल वास्तुकला: मंदिर की वास्तुकला होयसल शैली की है, जो अपनी नक्काशी और जटिल डिजाइन के लिए जानी जाती है।
- रहस्यमयी दीपक: मंदिर के अंदर एक दीपक साल भर जलता रहता है। दिवाली के दिन जब मंदिर खोला जाता है, तो यह दीपक बिल्कुल वैसा ही जलता हुआ पाया जाता है जैसा कि साल भर पहले बुझाया गया था।
- ताजे फूल: मंदिर में रखे हुए फूल भी साल भर ताजे रहते हैं।
मंदिर का रहस्य
- हसनंबा मंदिर के कपाट दीवाली पर ही खोले जाते हैं। फिर 7 दिन बाद यहां दीपक जलाकर, फूल और प्रसाद चढ़ाते हैं और इस मंदिर के कपाट को बंद कर देते हैं। जब मंदिर के कपाट बंद किए जाते हैं तो अंदर एक दीपक जलाया जाता है। इसके साथ ही, मंदिर में फूल भी रखे जाते हैं।
- साल भर जलता दीपक: यह सबसे बड़ा रहस्य है। वैज्ञानिकों ने इस बात का कोई स्पष्ट कारण नहीं खोज पाया है कि यह दीपक साल भर कैसे जलता रहता है।
- ताजे फूल: फूलों का भी साल भर ताजा रहना एक रहस्य है।
मंदिर का महत्व
- यह मंदिर स्थानीय लोगों के लिए धार्मिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है।
- दिवाली के दिन मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
- दूर-दूर से भक्त इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं।
- यह मंदिर एक प्रमुख पर्यटन स्थल भी है।
कुछ रोचक तथ्य
- देवी अंबा को समर्पित ये मंदिर कर्नाटक के हासन जिले में आता है। मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में हुआ था। शहर का नाम भी हसन देवी के नाम पर ही रखा गया।
- मंदिर के अंदर कोई खिड़की या दरवाजा नहीं है।
- मंदिर के अंदर की हवा का तापमान हमेशा स्थिर रहता है।
(नोट: यहां दी गई सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। हम मान्यता और जानकारी की पुष्टि नहीं करते हैं।)